90से अधिक विधायकों ने 3 माह से अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों के नहीं दिए प्रस्ताव

90से अधिक विधायकों ने 3 माह से अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों के नहीं दिए प्रस्ताव

भोपाल वित्तीय संकट के चलते राज्य सरकार ने इस वर्ष माननीयों को पहली तिमाही की विधायक निधि में कटौती करते हुए हर विधानसभा क्षेत्र के लिए करीब 55 लाख रुपए दिए गए। बावजूद 90 से अधिक विधायक अपनी इसी निधि को खर्च करने में कंजूसी कर रहे हैं। ऐसे विधायकों ने तीन माह से अपने क्षेत्र के विकास के लिए एक भी प्रस्ताव नहीं भेजे हैं। 50 से अधिक माननीयों ने महज 5 से 10 लाख रुपए के लागत की ही जिला प्रशासन को काम बताए हैं। जबकि उंगलियों में गिने जाने वाले विधायकों ने अपना पहला कोटा ओवर कर दिया है। आश्चर्य यह भी है कि कुछ विधायकों को अबतक जानकारी भी नहीं कि उनकी निधि जिले में आ चुकी है। प्रदेश में कुल 230 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें 24 रिक्त हैं। राज्य सरकार ने लेखानुदान बजट से 206 विधायकों के क्षेत्रों में पहली किस्त भेजी है। हर विधायक को निधि के तौर पर 1.85 करोड़ और स्वैच्छानुदान मद से 15 लाख मिलते हैं। वित्त विभाग ने पहली तिमाही में 55 लाख और 4 से 6 लाख रुपए भेजे हैं। इस राशि से विकास और निर्माण के कार्य कराए जाते हैं। ज्यादातर विधायकों ने कोरोना संकट से निबटने के लिए अस्पतालों में वार्ड निर्माण, बिस्तर बढ़ाने के लिए निधि दी है।

 प्रश्न अब तक आप अपनी विधायक निधि से प्रस्ताव भेजने में पीछे हैं, क्यो ? 

नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट)

सरकार ने इस बार राशि कम दी है। मेरे पिछले वर्ष के कई काम रुके हैं। इसलिए तय किया है कि पहले रुके कामों पर राशि खर्च करेंगे। नए प्रस्ताव बाद में देंगे।

 राम खेलावन पटेल (अमरपाटन) 

विधायक निधि देर से आई है। कोरोना के कारण क्षेत्र में जाना कम हो रहा है। सभाएं और बैठकें भी नहीं कर पाए। इससे डिमांड नहीं मिलीं। जुलाई में कोटा पूरा कर देंगे।

 सिद्धार्थ कुशवाहा (सतना) 

विधायक निधि आने की जानकारी नहीं है। इसलिए नए प्रस्ताव देने के लिए सोचा भी नहीं है। क्षेत्र से डिमांड आते ही प्रस्ताव जिला योजना कार्यालय भेजे जाएंगे।

राहुल सिंह (दमोह) 

लॉक डाउन के कारण प्रस्ताव नहीं दिए। सालभर में खर्च करना है, कभी भी उपयोग कर लेंगे। प्रस्ताव देने से फायदा भी नहीं क्योंकि क्षेत्र में विकास कार्य ही नहीं चल रहे हैं।

 विक्रम सिंह (रामपुर बघेलान) 

मुझे तो यही पता नहीं कि विधायक निधि आ गई है। इसलिए एक भी प्रस्ताव नहीं दिए हैं। पता करवाता हूं। लॉक डाउन के कारण लोगों से मिलना भी नहीं हो रहा है।

 इन्होंने कोविड के लिए दी राशि 

डॉ.सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) 

कोरोना संकट से लड़ने जिला अस्पताल में वार्ड निर्माण और अन्य व्यवस्थाओं के लिए 30 लाख रुपए के प्रस्ताव दिए हैं। पिपरिया में भी 20 लाख के प्रस्तुत कर दिए।

 शैलेन्द्र जैन ( सागर) 

वर्ष 2020-21 के लिए पहली किस्त बहुत कम मिली है। हमने अधिकांश राशि कोविड-19 के लिए खर्च की है। एम्बुलेंस, वेंटीलेटर और आॅटोमेटिक मशीन के लिए दी है।

 विक्रम सिंह राणा (सुसनेर)

कोविड पर फोकस करते हुए प्राप्त किस्त में अधिकांश प्रस्ताव दिए हैं। 50 लाख के काम बता दिए हैं। इनमें निर्माण और विकास के कार्य भी शामिल हैं। स्वैच्छानुदान से भी दिया।

क्षेत्र जहां से नहीं मिले प्रस्ताव

औसतन एक जिले से दो विधायकों द्वारा प्रस्ताव नहीं दिए गए हैं। रतलाम शहर, सैलाना, कालापीपल, बुधनी, ग्वालियर, बरगी (जबलपुर), आमला , टिमरनी, सिवनी मालवा, रायसेन, राजगढ़ शामिल हैं।

विधायक निधि खर्च का हिसाब अभी नहीं आया 

हर विधानसभा के लिए 54 से 55 लाख के बीच विधायक निधि जारी की है। स्वेच्छानुदान के नाम पर औसतन 6 लाख दिए हैं। यह तीन माह के लिए राशि दी गई है। अबतक कहीं से भी जानकारी नहीं आई है कि कितनी राशि खर्च हुई और कितने लागत के प्रस्ताव दिए गए। लॉक डाउन के कारण प्रस्ताव देर से देने की जानकारी है। आरएस राठौर, अतिरिक्त संचालक आर्थिक एवं सांख्यकीय विभाग