अपनों ने ठुकराया गैरों ने अपनाया हर किसी की करुण कहानी

जबलपुर । हर किसी की अपनी कहानी है। उम्र के आखिरी पड़ाव में अपनों के ही जुल्म का शिकार होकर बेघर होने के बाद उन्हें सहारा देते हैं सरकारी या एनजीओ के द्वारा संचालित वृद्धाश्रम। इन वृद्धाश्रमों में रहने वाले बुजुर्गों से जब उन पर बीती पूछी जाती है तो सबसे पहले उनकी आंखें भर आती हैं। शहर में ही कम से कम आधा दर्जन से अधिक वृद्धाश्रम संचालित हैं,जिनमें से शासकीय रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा संचालित मेडिकल बाजनामठ के पास मेन रोड पर स्थित वृद्धाश्रम में ही 95 बुजुर्ग रहते हैं जिनमें से 59 महिलाएं हैं और 36 पुरुष हैं। इसके अलावा एडवोकेट सोनल पंडित भी एक ओल्ड एज होम का संचालन करती हैं। विधिक सेवा केन्द्र का सालसा केन्द्र भी ऐसे ही एक केन्द्र का संचालन करता है। यही प्रयास उर्दना,नटवारा और मदर टेरेसा केन्द्र के द्वारा भी संचालित हैं।
इन्होंने दिखा संवेदनाएं
शहर में कुछ सरकारी अधिकारी ऐसे भी आए और हैं जिन्होंने बुजुर्गों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन किया है। इनमें पूर्व एसपी अमित कुमार सिंह के कई उदाहरण सामने आए हैं। वे जनसुनवाई में पहुंचे बुजुर्गों की समस्याओं पर पूरा ध्यान देते रहे और निजी स्तर पर और प्रभाव का इस्तेमाल कर उनकी समस्याओं को हल करवाते रहे। पूर्व कलेक्टर छवि भारद्वाज भी इसी तरह बुजुर्गों के प्रति बहुत संवेदनशील रही हैं। वर्तमान में गोरखपुर एसडीएम युवा अधिकारी आशीष पाण्डेय भी बुजुर्गों के प्रति अपनी संवेदनाओं के लिए जाने जाते हैं।
क्या है विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार
जागरूकता दिवस हर साल 15 जून को उनकी कमजोर स्थिति के कारण विभिन्न प्रकार की हिंसा का सामना करने वाले बुजुर्गों की दृश्यता बढ़ाने के लिए विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। अधिकांश देशों से वर्ष 2030 तक वृद्ध लोगों की एकाग्रता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा सकती है। इससे जनसांख्यिकी की स्थितियों के बारे में बात करना महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ने के लिए बाध्य हैं।वृद्धाश्रम में इस समय 95 बुजुर्ग निवासरत हैं। इनमें से 59 महिलाएं और 36 पुरुष हैं।
सभी अपनों से प्रताड़ित होकर यहां रहते हैं। हम इनका पूरा ध्यान रखते हैं। रजनी बाला सोहल,अधीक्षक, शासकीय रेडक्रॉस वृद्धाश्रम