हमारी कोई नहीं सुनता, हम भी इंसान हैं, हमारे भी बच्चे हैं

भोपाल । ‘इन दिनों जुमेराती पूरी तरह से बंद है यहां पर कोई भी व्यक्ति बाहर का प्रवेश नहीं कर सकता, हम चाह कर भी काम नहीं कर पा रहे हैं। अब भूखे मरने जैसी नौबत भी दिखाई दे रही है। हमने अपने कामों के लिए तो पहले से ही कर्ज ले रखा था साथ ही अब घर चलाने के लिए भी कर्ज लिया हुआ है। हमारी कोई नहीं सुनता हम भी इंसान है हमारे भी बच्चे और परिवार है।’ जुमेराती में फ्रूट का ठेला लगाने वाले पप्पू साहू ने मुखातिब होते हुए कहा-‘आजकल मुझे लोगों से कर्ज लेकर परिवार का भरण पोषण करना पड़ रहा है। क्योंकि यहां आने के सारे रास्ते बंद हैं और ग्राहक आए तो आए कहां से।’ वहीं श्याम सुंदर अपना दुख जाहिर करते हुए कहते हैं ‘मैं यहां फुटपाथ पर अगरबत्ती की दुकान लगाता हूं, मैंने प्रधानमंत्री योजना वाला लोन लिया था। अब वह लोग वापस मांगने के लिए बैंक से फोन आने लगे हैं।’ इसके अलावा श्याम गुर्जर अपनी समस्या बताते हैं कि ‘मैं मेरी ड्रायफ्रूट्स की दुकान है करीब 20 हजार रुपए का माल चूहे खा गए हैं और बहुत सारा पैक माल एक्सपायर हो चुका है हम लोग सिर्फ इतना चाहते हैं प्रशासन हमारी और भी ध्यान दे कि हम कैसे सर्वाइव कर पाएंगे।’ जुमेराती बाजार में फुटकर कारोबार करने वाले सभी व्यापारी रविवार दोपहर करीब 1 बजे जुमेराती में इकट्ठे हुए और पीपुल्स समाचार के सामने अपनी परेशानियों को बयां किया।