पिछले साल जैसा धंधा नहीं, रोजाना खराब हो रहे हैं दस किलो आम

पिछले साल जैसा धंधा नहीं, रोजाना खराब हो रहे हैं दस किलो आम

‘अब पहले जैसा धंधा नहीं होता। तीन दिन से माल खराब होता देखकर मुझे तो अफसोस भी हो रहा है। आज करीब दस किलो आम खराब हो गए हैं। अभी भी लोग कोरोना संक्रमण के डर से नहीं आ रहे हैं। मैं बरसों से यं धंधा कर रहा हूं, मगर पहली बार कम लोग खरीदी करने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में धंधा 80 प्रतिशत से भी कम हो गया है। मैं ही नहीं बल्कि, अन्य सभी ठेले वालों के भी यही हाल हैं। बिक्री न होने से पहली बार अफसोस हो रहा है कि अधिक माल क्यों खरीद लिया। इस हालत में अपना घर कैसे चलाऊं, कैसे बच्चों को पढ़ाऊंगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। अब तो सब कुछ भगवान भरोसे ही है।’ यह कहना है पुराने शहर में हाथ ठेला लगाकर फल बेचने वाले अन्नू का।