ऑनलाइन क्लासेस बहुत से बच्चों के लिए एक बुरा सपना बन सकती है

ऑनलाइन क्लासेस बहुत से बच्चों के लिए एक बुरा सपना बन सकती  है

 नई दिल्ली ।कोरोना की वजह से अब बच्चों का क्लासेस ऑनलाइन लगने लगी हैं। इसी बीच विशेषज्ञों ने चेताया है कि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के बीच ऑनलाइन क्लासेस कुछ बच्चों के लिए एक बुरे सपने जैसी साबित हो सकती हैं। पिछले ही दिनों केरल में एक लड़की ने कथित तौर पर सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसके पास ऑनलाइन  क्लास में पढ़ाई करने के लिए स्मार्टफोन नहीं था।कोरोना के बीच स्कूल बंद होने से ऑनलाइन   कक्षाओं पर देश में एक बहस चल रही है।

 गांव में 15% से भी कम के पास इंटरनेट सुविधा

भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारतीय घरों में 15%से भी कम की पहुंच इंटरनेट तक है, जबकि शहरों में 42% घरों तक इंटरनेट की पहुंच है। यह रिपोर्ट 2017-18 के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण पर आधारित है।

स्कूलों ने बताए फायद

लॉकडाउन में पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए ऑनलाइन  कक्षाएं जरिया बनीं। बच्चों में पढ़ाई करने की आदत नहीं छूटी ,ऑनलाइन   कक्षाओं से बच्चों ने तकनीक के इस्तेमाल का नया तरीका सीखा।भविष्य को देखते हुए वर्क फ्रॉम होम की भी बच्चों में आदत पड़ी है।  ऑनलाइन   कक्षाओं से शिक्षकों ने भी पढ़ाई कराने का नया तरीका सीखा।  भविष्य में ऑनलाइन   पढ़ाई से संबंधित कई और प्रयोग करने की तैयारी।

 अभिभावकों ने गिनाए नुकसान 

ऑनलाइन   कक्षाओं को स्कूल की ओर से फीस लेने का जरिया है।  कक्षाओं के बीच में ही नेटवर्क संबंधी समस्याओं से बच्चों को परेशानी होती है। बच्चे के साथ होने की अनिवार्यता से अभिभावकों का समय बर्बाद होता है।  स्कूल अपनी जिम्मेदारी इन कक्षाओं के जरिए अभिभावकों पर डाल रहे हैं।बच्चों की आंखों एवं स्वास्थ्य पर असर,अचानक शुरू हुई ऑनलाइन  कक्षाओं से अभिभावक नहीं जुटा पाए संसाधन।

05 समस्या

ऑनलाइन   कक्षा में प्रैक्टिकल नहीं करा सकते। खासकर साइंस और सोशल साइंस के।  शिक्षकों व छात्रों के बीच आपसी समन्वय की कमी।  विभिन्न एप पर एक निर्धारित संख्या से ज्यादा छात्र-छात्राएं नहीं जुड़ सकते।  ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के पास यह सुविधा नहीं है।  40 मिनट की क्लास में शिक्षक अध्याय को संक्षेप में बता देते हैं।

 05 समाधान

शिक्षकों को ऑनलाइन  ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी।  पढ़ाने और पढ़ने से पहले शिक्षक व छात्र दोनों तैयार होकर ऑनलाइन  हों। जिन छात्रों के पास ऑनलाइन  पढ़ने के साधन नहीं हैं, उन्हें सुविधा दी जाए।  ऑनलाइन   क्लास को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एक सिस्टम बनाकर अनिवार्य किया जाए।  ऑनलाइन   कक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए प्लेटफॉर्म विकसित किए जाएं।

 बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता

मैं ऑनलाइन  कक्षा के पक्ष में नहीं हूं। मूल रूप से बच्चों का शारीरिक और मानसिक संपर्क बहुत जरूरी है। चंचलता, रचनात्मकता और अन्य चीजें कभी भी ऑनलाइन  कक्षाओं से बच्चों में नहीं आ सकती है। - के. कस्तुरीरंगन, प्रख्यात वैज्ञानिक

ऑनलाइन  क्लासेस पर्याप्त समाधान नहीं 

हर चीज को तेजी से ऑनलाइन   माध्यम पर ले जाया जाना, जूम क्लासेस, स्मार्टफोन के माध्यम से शिक्षण, ये सब ऐसे अल्पकालिक समाधान हैं, जो आवश्यक हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं है। हमें अगले कुछ साल के लिए एक ऐसी टिकाऊ प्रणाली बनाने की जरूरत है, जो बाधाओं से पार पाने में सक्षम हो। - नंदन निलेकणी, चेयरमैन, इंफोसिस