सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों तभी खोलें स्कूल, बच्चों को न बनाएं टेस्टिंग किट

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों तभी खोलें स्कूल, बच्चों को न बनाएं टेस्टिंग किट

भोपाल । संसद अभी बंद है और विधानसभा सत्र शुरू होने की कोई तारीख भी अब तक तय नहीं की गई है। यह स्थिति इसलिए है, क्योंकि सरकार को अपने सांसदों और विधायकों की सुरक्षा की खास चिंता है। इसी के चलते राज्यसभा सदस्य चुनाव के लिए भी विधानसभा के सेंट्रल हॉल का चयन किया गया, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। इसके उलट, प्रदेश सरकार स्कूल जल्द खोले जाने की तैयारी में है। इसका फैसला जुलाई में लिया जाएगा। इसको लेकर पीपुल्स समाचार ने शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और पैरेंट्स से चर्चा की। इस दौरान चर्चा में सामने आया कि कोरोना संक्रमण के देश और प्रदेशभर में लगातार बढ़ते मामलों के चलते पैरेंट्स अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहुत डरे हुए हैं। वे अभी की स्थिति में अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। पैरेंट्स का कहना है कि बड़े लोग तो वायरस के खतरे को समझते हैं। वे सतर्कता भी बरत सकते हैं। लेकिन बच्चे बहुत नाजुक होते हैं। इसके उलट बच्चों में यह समझ नहीं होती। उनका इम्युनिटी सिस्टम भी मजबूत नहीं होता है। ऐसे में वे अपने बच्चों को लेकर यह खतरा नहीं उठा सकते। राजनेता पहले संसद और विधानसभा का सत्र शुरू कराए जाने को लेकर फैसला लें, उसके बाद ही बच्चों के बारे में इतना बड़ा फैसला लें। उन्हें टेस्टिंग किट न बनाया जाए।

बढ़ते संक्रमण को देख स्कूल खोलना सही नहीं 

 सरकार अपने विधायकों-सांसदों का जीवन सुरक्षित देखना चाहती है। कई इंतजाम भी किए हैं। लोकसभा िवधान सभा में सोशल डिस्टेंसिंग की योजना बनाई जा रही है। वहीं मासूम बच्चों को टेस्टिंग किट जैसे प्रयोग करने की योजना बनाई है। जिस तरह कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, ऐसे में स्कूल खोलने के बारे में सोचना भी गलत होगा। प्रबोध पण्ड्या महासचिव, मप्र पालक महासंघ

 बच्चों के प्रति असंवेदन शीलता ठीक नहीं 

बच्चों के साथ असंवेदनशीलता दिखाना कतई ठीक नहीं है। स्कूल खोलने से पहले उनके स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होकर सोचना होगा। स्कूल बच्चों की शिक्षा के लिए खोले जा रहे हैं और जब बच्चे ही स्वस्थ नहीं होंगे, तो वह क्या पढ़ाई करेंगे। प्रदेश सरकार बच्चों को गंभीरता से लेते हुए स्कूल ओपन करने के बारे में विचार करे। अंशू गुप्ता, समाजसेवी एवं अध्यक्ष एनएच-12 वुमैन क्लब, भोपाल

जब बड़े सुरक्षित नहीं तो बच्चे कैसे रह पाएंगे 

जिस तरह कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। ऐसे में बच्चे खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। बच्चे आपस में खेलेंगे, टिफिन शेयर और कॉपी-पेंसिल बदलेंगे ही। अभी लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई सफल रही है, उसे सालभर भी चालू रखना चाहिए। बच्चों को स्कूल जाना सेफ नहीं होगा। अपने बच्चे को मैं खुद स्कूल नहीं भेजना चाहूंगी। दिव्या गांधी, पैरेंट दिल्ली पब्लिक स्कूल, भोपाल

 प्रदेश में स्थिति सामान्य हो तभी खोले जाएं स्कूल 

पैरेंट्स के साथ स्कूल संचालक भी डरे हुए हैं। मुख्यमंत्री ने स्कूल खोलने के मुद्दे पर जुलाई में निर्णय लेने को कहा है। हम चाहते हैं कि स्थितियों का आंकलन करने और सभी सुरक्षा इंतजामों के साथ सितंबर में स्कूल खोले जाएं। जब आयोग तक चुनाव कराने को तैयार नहीं है, तो बच्चों के स्कूल में जल्दबाजी करना ठीक नहीं है। बृजेश चौहान, अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग