कोरोना संक्रमण के डर से लोगों ने बर्तन मंजवाने से मना कर दिया

मैं किराए के मकान में अकेली रहती हूं। लोगों के घरों में बर्तन-झाडू पोछा कर दो वक्त की रोटी और मकान के किराए का बंदोबस्त कर लेती थी। लेकिन लॉकडाउन में यह काम बंद हो गया। दो वक्त की रोटी जुटाने का भी संकट खड़ा हो गया है। यह दर्द है संत बैरागढ़ के कुम्हार मोहल्ले की 60 वर्षीय लक्ष्मी पारवानी का। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन खुल भी गया, लेकिन कोरोना संक्रमण का इतना डर है कि लोगों ने मुझसे काम करवाने से मना कर दिया। इसके चलते अब संकट पैदा हो गया है। कई लोगों से मदद मिली, पूर्व पार्षद खटवानी ने भी राशन दिया, पर यह कितने दिन चलता। लक्ष्मी ने बताया कि अब दो घरों में काम मिला भी तो इनके मात्र 600 रुपए से गुजारा और किराया भी मुश्किल हो गया है। लक्ष्मी ने बताया कि अभी भी काम मांगने जाती हूं तो लोग कोरोना संक्रमण के कारण नहीं रखते। ऐसे में इस वक्त घर का किराया तो दूर की बाद, दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।