निगम में हुआ करोड़ों का पब्लिक टायलेट निर्माण घोटाला निगमायुक्त ने 6 जिम्मेदारों को दिए नोटिस
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ग्वालियरी। प्रदेश में कांग्रेस सरकार रहने के दौरान निगम में 2.45 करोड़ के सार्वजनिक टायलेट (पीटी) निर्माण कार्य मनचाही फर्मो को देने वाले घोटाले का खुलासा हुआ। जिसमें जिम्मेदारों ने बिना प्रशासकीय स्वीकृति लिए टेंडर (आरएफपी)लगाने, बजट स्वीकृति न लेने, वर्कआर्डर जारी करने व भुगतान के लिए दूसरे हेड (लेखा खाते) से देने की जबरदस्त खामियां हुई है। अनदेखी के मामले में निगमायुक्त संदीप माकिन ने अपर आयुक्त, अधीक्षण यंत्री सहित को कारण बताओं नोटिस दे दिए है, तो भुगतान से पहले जांच करने वाले स्थानीय निधि संपरिक्षा(आरएडी) अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए भोपाल पत्र लिख दिया है। नगर निगम के जिम्मेदारों द्वारा घोटाले करने की नियत से बीते वर्ष 25 जुलाई 2019 को 2.45 करोड़ के 16 सार्वजनिक शौचालय (पीटी) व 3.84 करोड़ के 29 सीटी (कम्यूनिटी टायलेट) निर्माण हेतु निगम परिषद/एमआईसी से बिना स्वीकृति लिए टेंडर लगवाए गए। साथ ही मिलीभगत के चलते बिना बजट व व्यय स्वीकृत लिए 31 अगस्त 2019 को ठेकेदारी फर्मो से अनुबंध किया गया। जिसमें ठेकेदारी फर्मो को लाभ देने के लिए परर्फोमेंस गारंटी (बीजी) जमा नही करवाई गई और इतनी अनदेखी होने के बाद भी कार्य के भुगतान हेतु 24 दिसंबर 2019 को एक करोड़ राशि का पहला बिल लेखा शाखा में पहुंचावा दिया। जहां घोटाले से ताल मिला रही आरएडी शाखा ने सारे गड़बड़झाले को अनदेखी कर भुगतान के लिए पारित कर दिया। जिसके बाद 16 पीटी निर्माण की फाइल लेखा शाखा में पहुंचने पर स्वच्छ भारत मिशन की जगह निगम शौचालय व मूत्रालय के एक करोड़ वाले हेड (खाते) से ठेकेदारी फर्म को 30 जनवरी 2020 को 35 लाख का भुगतान कर दिया।
आरएडी पर कार्रवाई हेतु भोपाल पत्र लिखा है
प्रशासकीय स्वीकृति लिए बिना करोड़ों के टेंडर लगाने, बजट स्वीकृति न लेने, वर्कआर्डर जारी करने व भुगतान हेतु दूसरे हेड से देने की अनियमित्ता की आरएडी द्वारा अनदेखी पर प्रशासक की आपत्ति है और निगमायुक्त ने इसी के चलते संचालक आरएडी भोपाल को कार्यवाही हेतु पत्र लिख दिया है।
घोटाले की फाइल पर प्रशासक से ली स्वीकृति
घोटाले में अपने हाथ फसने के चलते निगम में शुरू हुई लीपापोती के चलते प्रशासक एमबी ओझा से जिम्मेदार अफसरों ने 14 अप्रैल 2020 को संकल्प 23 करवा लिया। लेकिन उसमें प्रशासक ने दोषियों पर सख्त कार्यवाही की हिदायत निगमायुक्त को देने पर सभी को नोटिस दिए गए है। सूत्रों की मानें तो 2 करोड़ स्वीकृति अधिकार होने पर ज्यादा राशि की फाइले स्वीकृत करने पर अभी सभी ने चुप्पी साध ली है। पहले फाइल आई थी, जिसको कार्रवाई के लिए वापस भेज दिया है। अनदेखी करने वाले जिम्मेदार को कतई माफी नहीं दी जाएगी।
निगमायुक्त ने इन्हें जारी किए है नोटिस
2.45 करोड़ के पब्लिक टायलेट घोटाला सामने आने पर निगमायुक्त ने अपर आयुक्त (वित्त) देवेन्द्र पालिया, अधीक्षण यंत्री प्रदीप चतुर्वेदी, सीसीओ प्रेम पचौरी, सहायक यंत्री सतेन्द्र यादव, उपयंत्री राजेश परिहार व एक र्क्लक को कारण बताओ नोटिस दिए है। जिसके बाद क्लर्क को छोड़कर किसी ने म्याद गुजरने पर भी उनका जबाव नहीं दिया है।