राज्यसभा चुनाव खत्म, मंत्रिमंडल विस्तार पर दावेदारों में बढ़ी बेचैन

भोपाल । राज्यसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर मंत्री पद के दावेदारों में बेचैनी बढ़ गई है। इस बीच राज्यपाल का स्वास्थ्य खराब होने से विस्तार हालफिलहाल होने की संभावना भी नहीं है। दावेदारों के मन में यह डर बना हुआ है कि यदि चुनाव की घोषणा हो जाती है, तो आचार संहिता लगने से उनका मंत्री बनना भी मुश्किल हो जाएगा। उपचुनाव के बाद क्या परिस्थितियां बनती हैं, यह खुद दावेदारों को भी नहीं पता है। भाजपा, कोरोना और फिर राज्यसभा चुनाव को लेकर मंत्रिमंडल विस्तार लंबे समय से टाल रही थी। पार्टी को डर था कि राज्यसभा चुनाव से पहले विस्तार किया जाता है, तो इससे जो असंतोष उभरेगा, उससे कहीं क्रॉस वोटिंग की नौबत न आ जाए। यही कारण था कि पहले राज्यसभा का चुनाव निपटने का इंतजार किया गया। राज्यसभा चुनाव में दो सीटें मिलने के बाद अब पार्टी के पास मंत्रिमंडल विस्तार रोकने का बहाना नहीं बचा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के राज्यसभा चुनाव जीतने के बाद उनके समर्थक मंत्रिमंडल विस्तार के लिए फिर से दबाव बनाना शुरू करेंगे।
भाजपा के लिए चुनौती
भाजपा संगठन, उसके मैनेजरों और सरकार के सामने अब चुनौती बढ़ गई है। सिंधिया समर्थक छह लोगों के अलावा रणवीर सिंह जाटव और तीन अन्य ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी मंत्री पद के दावेदार है। अभी शिवराज सिंह चौहान अपने पांच सदस्यीय मंत्रिमंडल से काम चला रहे हैं। पार्टी के कई लोग मंत्री पद की कतार में है। राजेंद्र शुक्ला को लेकर भारी विरोध है। यही हाल रामपाल सिंह का है। सागर से भूपेंद्र सिंह को मंत्रिमंडल में लिया जाता है, तो गोपाल भार्गव को भी लेना होगा। ऐसे कई किंतु-परंतु सरकार और संगठन के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। राज्यसभा के लिए नहीं चुने जाने तक सिंधिया भी चुप थे और चुनाव को देखते हुए समर्थक भी मुंह बंद रखे हुए थे, लेकिन अब दोनों आजाद है।