मम्मी-पापा में सुलह करा दो, रूठकर गए पापा की याद आ रही

भोपाल। मुझे उम्मीद थी कि चाहे कुछ भी हो जाए, पापा 15 मई को मेरे बर्थडे पर मुझे जरूर विश करेंगे और मैं पापा को वापस घर आने के लिए मना लूंगी। लेकिन पापा ने वह स्पेशल-डे भी मिस कर दिया और जाने के बाद से आज तक मुझसे एक बार भी बात नहीं की है। पापा एक साल से विदेश में थे, तब भी कोई दिन ऐसा नहीं होता था कि वे बात न करें, लेकिन यह पूरा समय ऐसा लग रहा है कि इंडिया में रहते हुए भी पापा मुझसे बहुत दूर हैं। पढ़ाई में भी मन नहीं लगता। फादर्स-डे पर भी मैंने पापा से बात करने की बहुत कोशिश की, लेकिन बात नहीं हुई। पापा के बिना मैं डिप्रेशन महसूस कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि मम्मी-पापा फिर साथ आ जाएं। हम उसी तरह से साथ में लाइफ इंज्वाय करें, जिस तरह किया करते थे।’ यह उस पत्र का मजमून है, जो कटारा हिल्स में रहने वाली 11 साल की बच्ची ने बाल संरक्षण आयोग को लिखा है। बच्ची ने आयोग से मदद की गुजारिश की है और कहा है कि उसके पापा को समझाएं।’