आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं

आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं

नई दिल्ली ।  तमिलनाडु में कई राजनीतिक दलों द्वारा नीट परीक्षा के लिए 50 फीसद ओबीसी आरक्षण की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से इंकार कर दिया है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने कहा कि आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं हैं। बता दें तमिलनाडु में सभी राजनीतिक दलों (डीएमकेसी पीआई और एआईएडीएमके) ने एक साथ मिलकर ओबीसी के लिए मेडिकल की अखिल भारतीय परीक्षा नीट में 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने की मांग की थी।

 तमिलनाडु में है 69 प्रतिशत आरक्षण

 राजनीतिक दलों ने याचिका में कहा था कि तमिलनाडु में ओबीसी, एससी, एसटी के लिए 69% रिजर्वेशन है। इसमें ओबीसी का हिस्सा 50% है। याचिका में कहा गया कि आॅल इंडिया कोटा के तहत तमिलनाडु को दी गई सीटों में से 50% पर ओबीसी उम्मीदवारों को एडमिशन दिया जाए।

 मद्रास हाईकोर्ट में जाएं

कोर्ट ने कहा है कि हम आपकी याचिका को खारिज नहीं कर रहे हैं, क्योंकि आप तमिलनाडु के लोगों की हित की बात कर रहे हैं। इसलिए हम इस पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं और इसे मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेज रहे हैं।

 सुप्रीम कोर्ट ने इसकी अधिकतम सीमा 50% तय कर दी है । किसी भी हालत में कोई भी हाईकोर्ट 50% से ज्यादा आरक्षण को जायज नहीं ठहरा सकती। सीमा बढ़ाना संभव नहीं होगा। जस्टिस अभय गोहिल,(रिटायर्ड)

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 10 साल में कई फैसलों में आरक्षण पर स्पष्ट किया है कि यह किसी का संवैधानिक अधिकार नहीं है। ऐसे में आरक्षण को फंडामेंटल राइट की तरह पेश किया जाना मान्य नहीं हो सकता। रेनू शर्मा,पूर्व जिला जज