सचिन वनडे में सबसे ज्यादा २० बार शून्य पर आउट होने वाले भारतीय

सचिन वनडे में सबसे ज्यादा २० बार शून्य पर आउट होने वाले भारतीय

नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान कई उपलब्धियां हासिल की और कई रिकार्ड भी बनाए हैं। इन रिकार्ड्स के साथ सचिन ने वनडे में सबसे ज्यादा(20) बार शून्य पर आउट होने का रिकार्ड भी बनाया है, जिसे अभी तक किसी खिलाड़ी द्वारा नहीं तोड़ा गया है। इसी के साथ दुनिया में सबसे ज्यादा वनडे मैच खेलने वाले, 50-50 के फॉर्मेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहें। साथ ही भारतीय क्रिकेटरों में सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले सचिन ने क्रिकेट के इस प्रारूप में भारत की तरफ से वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा बार डक यानी शून्य पर आउट होने वाले बल्लेबाज का खिताब भी अपने नाम किया है। सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान 463 वनडे मैच खेले थे और इसकी 452 पारियों में वो 20 बार डक पर आउट हुए थे। वनडे क्रिकेट इतिहास में पहली बार दोहरा शतक लगाने वाले सचिन ने 463 मैचों में 44.83 की औसत से और 49 शतकों की मदद से 18426 रन बनाए थें।

यह खिलाड़ी भी शामिल हैं शून्य पर आउट होने वाली लिस्ट में

वनडे क्रिकेट में भारत की ओर से इस मामले में दूसरे स्थान पर टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ हैं। वो अपने वनडे करियर के दौरान कुल 19 बार शून्य पर आउट हुए थे,वहीं कुंबले तीसरे व युवराज चौथे नंबर पर हैं। दोनों 18-18 बार शून्य पर आउट हुए थे, लेकिन कुंबले मैचों की संख्या के आधार पर तीसरे स्थान पर हैं। वहीं वनडे में हरभजन सिंह भी 17 बार शून्य पर आउट हो चुके हैं और पांचव ें स्थान पर हैं।

बायो सिक्योर वातावरण में लार के इस्तेमाल से कोई खतरा नहीं: शॉन

नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज शॉन पोलाक ने कहा कि अगर बायो सिक्योर (जैविक रूप से पूरी तरह सुरक्षित) माहौल हो तो क्रिकेट को सामान्य तरीके से खेला जा सकता है, जिसमें गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधित जोखिम का सामना नहीं करना पड़ेगा। इंग्लैंड वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का आयोजन दर्शकों के लिए बंद स्टेडियम में जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में करेगा और पोलाक ने कहा कि ऐसे वातावरण में किसी भी गतिविधि पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं होगी।पोलाक ने कहा,‘मुझे लगता है कि जो माहौल बनाया जा रहा है वह एक बुलबुले की तरह होगा। लोगों का परीक्षण किया जाएगा, वे दो सप्ताह के लिए शिविर में रहेंगे। जहां वे शरीर की स्थिति के बदलाव का आंकलन करेंगे।