बिना अनुमति बना दिया संजीवनी क्लीनिक

भोपाल। राजधानी का रानी कमलापति महल संरक्षित राष्ट्रीय स्मारकों में शामिल है। लिहाजा संरक्षण के लिए नियम-कायदे भी बनाए गए हैं, जो सिर्फ कागजों में सिमटे हुए हैं। इसकी बानगी है कि जिस संरक्षित स्मारक की सौ मीटर की परिधी में कच्चा- पक्का किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता, लगभग उसकी दीवारों से सटाकर संजीवनी क्लीनिक भवन बनाया जा रहा है। दिलचस्प बात ये है कि प्रतिबंधित एरिया में बिल्डिंग बनाने वाले नगर निगम को जहां अपनी गलती का एहसास है, वहीं महल संरक्षण की जिम्मेदारी निभाने वाले महकमे आर्किलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया (एएसआई) को भी अपनी लापरवाही का एहसास है। दरअसल रानी कमलापति महल भोपाल की पहली इमारत है। सदियों पुराना ये महल संरक्षित राष्ट्रीय स्मारकों में शामिल है। लिहाजा इसकी 100 मीटर परिधि में किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता। जबकि 100 मीटर के बाद 200 मीटर परिधि में निर्माण से पहले एएसआई से अनुमति लेनी होती है। लेकिन निगम ने संजीवनी क्लीनिक भवन का निर्माण महल की 100 मीटर परिधि के अंदर करा रहा है, लेकिन इसकी अनुमति एएसआई से नहीं ली गई।