इंसाफ की लड़ाई के साथ समाज सेवा है मेरा प्रमुख उद्देश्य

भोपाल । पंचायतों की ईसी (एनवायरमेंटल क्लीयरेंस) में गड़बड़ी कर रेत के अवैध खनन को रुकवाने से लेकर भोपाल में स्मार्ट सिटी में हरियाली के लिए जमीन सुरक्षित करवाने तक एडवोकेट सचिन के. वर्मा ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और जीती भी। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं को रोकने के लिए एनजीटी में जनता का पक्ष रखा। सिंहस्थ में प्रधानमंत्री की सभा पर रोक के लिए लगाई गई याचिका खारिज करवाई। एनजीटी की सभी अंतर्राष्टÑीय, राष्टÑीय और क्षेत्रीय कॉन्फ्रेंसेज को अटेंड किया। भोपाल में आयोजित रीजनल कॉन्फे्रंस में सक्रिय रूप से योगदान दिया और इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के चार जजेस के साथ डायस भी शेयर किया था। अब वह बड़ी झील को बचाने सहित विभिन्न मुद्दों पर 30 से ज्यादा पिटीशन एनजीटी में पेश करने वाले हैं। एडवोकेट सचिन के. वर्मा से विजय एस गौर ने बातचीत की। पेश हैं अंश-
फिलहाल बड़ी झील सहित विभिन्न मुद्दों पर 30 से ज्यादा पिटीशन एनजीटी में पेश करने की तैयारी में हैं एडवोकेट सचिन के. वर्मा
1. आखिर आपने वकालत का पेशा ही क्यों चुना?
मेरे पिता जेके वर्मा जिला जज थे। उनके ट्रांसफर के कारण कई शहरों में रहने का मौका मिला। इस दौरान वकालत के प्रोफेशन के जरिए इंसाफ की लड़ाई के साथ समाज सेवा का बेहतर स्कोप दिखाई दिया। तभी तय कर लिया कि नौकरी करने के बजाय वकालत करना है। शुरुआत 1998 में जबलपुर हाईकोर्ट से की। 2008 में भोपाल शिफ्ट हुआ।
2. एनजीटी की ओर से पैरवी करते हुए कौन से मामले यादगार रहे?
एनजीटी में सरकार की ओर से 6 साल 11 महीने पैरवी की। कुछ मामले जैसे-नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर की ओर से माइनिंग को लेकर याचिका पेश की गई थी। लंबी लड़ाई के बाद इलीगल माइनिंग रोकने की लड़ाई जीते। इसके अलावा मलाजखंड, बालाघाट में कॉपर हिंदुस्तान कॉर्पोरेशन के कारण डस्ट से प्रदूषण के मामले में एनजीटी की ओर से इंस्पेक्शन करने गया था। मेरी रिपोर्ट के बाद एनजीटी के जजेस भी गए। सुनवाई के बाद डस्ट पॉल्यूशन रोकने के निर्देश दिए।
3. एनजीटी की ओर से और कहांकहां इंस्पेक्शन पर गए?
इंदौर की कान नदी और सरस्वती नदी में इलीगल माइनिंग, रिवर कंजर्वेशन और कंस्ट्रक्शन की इंस्पेक्शन रिपोर्ट सबमिट की थी। भोपाल के 16 हॉस्पिटल का भी इंस्पेक्शन किया था। अस्पतालों में बॉयो मेडिकल वेस्ट का मैनेजमेंट सही तरीके से नहीं होना पाया था।
4.अवैध रेत खनन का मामला क्या था?
रेत के लिए जारी होने वाली ईसी (एनवायरमेंटल क्लीयरेंस) के अनुसार रेत का खनन कम हुआ है, तो अगली बार ईसी देते समय उतनी मात्रा को माइनस किया जाना चाहिए था, लेकिन भ्रष्टाचार के कारण हर बार ईसी जारी करते समय फुल कैपेसिटी दर्शाई गई। इसको लेकर याचिका दायर की थी, जिसके बाद प्रदेशभर में इस पर रोक लग सकी।
5.भोपाल में स्मार्ट सिटी की जमीन पर प्लांटेशन के लिए जमीन कैसे मिली?
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण करते समय तय किया गया था कि जितने पेड़ काटे जा रहे हैं, उसके बदले में पेड़ लगाए जाएंगे। इसको लेकर याचिका पेश करने पर पहले तो प्रोजेक्ट पर स्टे हुआ और बाद में सवा सौ हेक्टेयर में से 23.53 हेक्टेयर जमीन प्लांटेशन के लिए रिजर्व की गई।
6. जबलपुर की रांची पहाड़ी का क्या इश्यू था?
पहाड़ी निजी संपत्ति थी, लेकिन पहाड़ी को काटकर कॉलोनी काटी जा रही थी। इसका दीर्घकालिक असर पर्यावरण पर पड़ता। इसी के खिलाफ याचिका दायर करके इसको रुकवाया।
7. कई चर्चित फैसलों के बाद रिजल्ट शीट पर क्या कहेंगे ?
सुप्रीम कोर्ट के जर्नल में मेरे मामलों में 930 जजमेंट रिपोर्ट किए गए हैं। अब भोपाल में तालाब संरक्षण के साथ ही पर्यावरण से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर 30 याचिकाएं पेश करने की तैयारी है।