बाल मनोविज्ञान का विश्लेषण करती कहानी का मंचन
सहर्ष कल्चरल सोसायटी द्वारा मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियों में से एक बड़े भाई साहब का मंचन शुक्रवार को शहीद भवन में किया गया। नाटक का निर्देशन मो.फैजान व नाट्य रूपांतरण प्रिया भदौरिया ने किया। इस कहानी में मुंशी प्रेमचंद ने बाल मनोविज्ञान का विश्लेषण किया कि बच्चों की इच्छाओं को दबाने से नतीजे अच्छे नहीं आते। शिक्षा पद्धति के दोष भी नाटक में दिखाए कि किस तरह क्लासरूम की शिक्षा रटना सिखाती है। शिक्षा के साथ खेलकूद व रचनात्मक गतिविधियों का तालमेल होना जरूरी है वरना व्यक्ति अपना पूर्ण मानसिक विकास नहीं कर पाता। बुद्धि के साथ व्यक्तित्व विकास भी आवश्यक है, इस बात को मुख्य रूप से नाटक में इंगित किया गया। नाटक में अभिनय बाल कलाकारों ने किया।
पतंगों, खेलकूद के सामान और किताबों से की मंचीय सज्जा
नाटक में मंचीय सज्जा पतंगों और कॉपी-किताबों व खेलकूद के सामान के साथ की गई। इस मौके पर नाटक से पहले नारीचरितम नृत्य नाटिका की प्रस्तुति हरीश शर्मा के निर्देशन में दी गई।