सांवले रंग पर ताने की वजह से की थी खुदकुशी 22 साल बाद भी पति की फांसी की सजा बरकरार

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के रहने वाले एक शख्स ने अपनी ही बीवी प्रताड़ित कर उसकी जान ले ली थी। बीवी का रंग सांवला होने के कारण वह उसे काफी मारा-पीटता था। उसके घरवाले भी बहू को तरह-तरह से प्रताड़ित करते थे। अब कलकत्ता हाईकोर्ट ने पत्नी की जान लेने वाले शख्स की फांसी की सजा बरकरार रखी है। साथ ही मृतका की सास को भी उत्पीड़न के मामले में दोषी पाया गया है। दोषी पाए गए मजीदुल मियां की शादी हत्या के सात महीने पहले ही हुई थी। जून 1998 में पीड़िता ने कूच बिहार में स्थित अपने ससुराल वाले घर में पंखे से लटककर जान दे दी थी। कोर्ट ने यह भी पाया है कि पीड़िता के गरीब पिता ने मजीदुल को दहेज में 11 हजार रुपये, चांदी के गहने, एक साइकल और कई और महंगे सामान दिए थे। दोनों की शादी अक्टूबर 1997 में हुई थी।
ससुराल वाले करते थे प्रताड़ित, पीटता था पति
जस्टिस सहीदुल्ला मुंशी और सुभाषीश दास गुप्ता की डिवीजन के संज्ञान में यह भी आया कि जब से पीड़िता ससुराल आई, तभी से उसके ससुराल के लोग और उसका पति उसका उत्पीड़न करते थे और उसे मारते-पीटते थे। गरीब पिता पैसे के अभाव में बार-बार अपनी बेटी को ससुराल वापस भेज देता था। इन्हीं बातों के साबित होने के बाद कोर्ट ने सेशंस कोर्ट में दोषी ठहराए गए मजीदुल की याचिका खारिज कर दी। सेशंस कोर्ट ने मजीदुल को धारा 302 (हत्या) और धारा 498-ए (पति और उसके घरवालों के उत्पीड़न) के मामले में दोषी पाया था और सजा-ए- मौत सुनाई थी। कोर्ट ने मजीदुल की मां यानि पीड़िता की सास को हत्या के आरोपों से तो बरी कर दिया है, लेकिन उत्पीड़न के मामले में सजा बरकरार रखी है।