गौरी’ की भूमिका तय करेगी ‘प्रभु’ का चुनावी भविष्य

गौरी’ की भूमिका तय करेगी ‘प्रभु’ का चुनावी भविष्य

भोपाल ।  रायसेन जिले का सांची विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। यहां से कांग्रेस विधायक डॉ. प्रभुराम चौधरी ने पद से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थामा है। अब उन्हें उप चुनाव में भाजपा से टिकट मिलना लगभग तय है। हालांकि उप चुनाव के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं की नाराजगी और 40 साल से स्थानीय राजनीति के ठोस आधार माने जाने वाले भाजपा के पूर्व मंत्री डॉ.गौरीशंकर शेजवार का समर्थन हासिल कर पाना उनके लिए बड़ी चुनौती है। डॉ. शेजवार और डॉ. चौधरी चिर प्रतिद्वंद्वी माने जाते हैं, क्योंकि अधिकतर विधानसभा चुनाव में दोनों ही आमने-सामने रहे हैं।

कांग्रेस के संभावित दावेदार

प्रीति ठाकुर, मुन्नी बाई जोहरे, बलवंत शाक्या, रघुवीर सिंह सूर्यवंशी

 वर्तमान स्थिति

कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद डॉ. चौधरी को उप चुनाव में टिकट मिलना लगभग तय है। वे तैयारी में जुट गए हैं। हाल ही में सौ से ज्यादा कांग्रेसियों को भाजपा में शामिल कराकर ताकत भी बताई है। चौधरी के साथ उन कांग्रेसियों ने पाला बदला है, जो सिंधिया समर्थक हैं और उन्हें कांग्रेस ने निष्कासित किया है।

प्लस  पॉइंट

 अनुसूचित जाति वर्ग में अच्छा प्रभाव होने से चुनाव में फायदा।  शिवराज सिंह चौहान के नाम पर मिलेगा समर्थन।  मृदुभाषी हैं, सबसे मिलते-जुलते रहते हैं, इसका लाभ मिलेगा।

माइनस पॉइंट

कांग्रेस सरकार में मंत्री बनने के बाद कार्यकर्ताओं से दूरी। ????जिले के अधिकारियों, कर्मचारियों से सामंजस्य न होना।  बिना कार्यकर्ताओं को विश्वास में लिए पार्टी छोड़ी।

 शेजवार का राजनीतिक भविष्य दांव पर

चौधरी के भाजपा में शामिल होने के बाद सात बार के विधायक रहे डॉ. गौरीशंकर शेजवार का राजनीतिक भविष्य दांव पर है। 2018 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे मुदित शेजवार को चुनाव लड़ाया था, लेकिन मुदित विधानसभा चुनाव हार गए। अब उप चुनाव में डॉ. शेजवार की भूमिका क्या होगी, यह उन्हें वर्तमान स्थिति ही तय करना है।

 जातिगत  गणित 

अजा वर्ग के 32 हजार और मुस्लिम मतदाता करीब 22 हजार हैं। इसके बाद लोधी, किरार आते हैं। 2018 के चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में 2013 की तुलना में 9 हजार अधिक वोट पड़े थे। इसका फायदा कांग्रेस को इसलिए हुआ, क्योंकि कांग्रेस ने कर्जमाफी की बात की थी।