ब्रिज पूरा करने का प्लान है लेकिन रोड के लिए रोड़ा बने मकानों को हटाने का नहीं

ब्रिज पूरा करने का प्लान है लेकिन रोड के लिए रोड़ा बने मकानों को हटाने का नहीं

भोपाल। छोटे तालाब पर कमलापति घाट से किलोल पार्क तक बन रहे आर्च ब्रिज का 80 फीसदी काम हो चुका है। जबकि बाकी 20 फीसदी काम पूरा करने को कंस्ट्रक्शन एजेंसी के पास अब महज 30 नवंबर तक का वक्त है। लेकिन सवाल ये है कि ब्रिज की राह में रोढ़ा बने तीन मकानों को शिट किए बिना ब्रिज का काम पूरा कैसे होगा। क्योेंकि बीते चार सालों में नगर निगम इन मकानों की शिफ्टिंग का कोई प्लान नहीं बना सका है और न ही वर्तमान में उसके पास कोई प्लान है। ऐसे में नई डेड लाइन में ब्रिज बनकर तैयार भी हो जाता है, तो भी इसका शुरू होना मुश्किल है। बता दें कि आर्च ब्रिज का निर्माण मई 2016 में शरू हुआ था, तब इसकी डेड लाइन दो साल तय की गई थी। तब से अब तक छठवीं बार ब्रिज की डेड लाइन बढ़ाई गई औरअब यह 30 नवंबर तय की गई है। अहम बात ये है कि हाल ही में कंस्ट्रक्शन एजेंसी को अल्टीमेटम दिया गया था कि अब डेड लाइन नहीं बढ़ेगी। लकिन अब निगम आयुक्त ने ब्रिज निर्माण की आखिरी डेड लाइन तो तय की है, पर ये तय नहीं किया है कि मकानों की शिफ्टिंग कब और कैसे होगी।

क्या है मामला

गिन्नोरी कमलापति घाट से किलोल पार्क धोबी घाट तक 300 मीटर लंबे ब्रिज का निर्माण 15 मई 2016 को शुरू हुआ। कंस्ट्रक्शन कंपनी ने ब्रिज निर्माण की शुरुआत इसके एप्रोच रोड्स से की। सिविल लाइन कॉलोनी से सटा कर किलोल पार्क का आधा हिस्सा खोद दिया गया। ऐसे में एप्रोच रोड के रास्ते में स्थानीय रहवासी गुफरान, साजिद अली, सुल्तान बेग के घर आ गए। जो यहां से हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि निगम ने 1992 में रेत घाट चौराहा चौड़ीकरण के लिए 176 लोगों को हटाया गया था। इन लोगों को लीज पर जमीन आवंटित कर किलोल पार्क के पीछे बसाया गया। कोर्ट ने भी उनके अधिकार को सही माना है।