बायो ड्राईजेस्टर से स्प्रे कर गला सकेंगे किसान खेतों की नरवाई

जबलपुर । खेती के यंत्रीकरण के बढ़ते उपयोग से गेहूं एवं धान की कटाई कम्बाईन हारवेस्टर द्वारा की जा रही हैं। जिससे समय एवं श्रम दोनों की बचत होती हैं। परंतु धान एवं गेहूं के डंठल यानी कि नरवाई एवं भूंसा खेत में ही छोड़ दिया जाता हैं। जिसे किसान जला देता हैं। नरवाई में आग लगने के हादसों के डर के साथ-साथ भूमि में मौजूद सूक्ष्म जीव जलकर खत्म हो जाते हैं, और जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता हैं। फसलों के गिरते उत्पादन और किसानों को हो रहे घाटे के पीछे नरवाई का जलना खास वजह बनती जा रही हैं। खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए बड़ा संकट खड़ा होता जा रहा हैं। लिहाजा कृषि वैज्ञानिक इस पर शोध कार्य निरंतर कर रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा नरवाई जलाने से होने वाली हानि और लाभ के संबंध में अनुसंधान किया जा रहा हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने अपने शोध में नरवाई को किस तरह से डिस्पोज किया जा सकता हैं। इसका हल निकाला गया हैं। भूमि का स्वास्थ्य सुधारने के लिए कृषि वैज्ञानिक कवायद में जुटे हुए हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने नरवाई को डिस्पोज करने के लिए किसानों को बायो-ड्राईजेस्टर रसायन का उपयोग करने की सलाह दी हैं। इसका उपयोग जमीन में नमी होंने पर ही किया जा सकता हैं।
नरवाई जलाने से सवा इंच भूमि हो जाती हैं गर्म
कृषि वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान में पाया है कि नरवाई जलाने से 1 से सवा इंच जमीन गर्म हो जाती हैं। जिससे जमीन के पोषक तत्व और मित्रकीट पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।
भूमि की भौतिक संरचना में हानि
फसल अवशेषों को जलाने से मृदा ताप में वृद्धि होती हैं। मृदा की सतह कड़ी हो जाती हैं,एवं मृदा सघनता में वृद्धि होती हैं तथा मृदा जल धारण क्षमता में कमी आती हैं। जिससे विपरीत प्रभाव पड़ता हैं।
वायु प्रदूषण में भी होती है वृद्धि
खेतों में फसल अवशेषों को जलाने के कारण अत्यधिक मात्रा में वायु प्रदूषण होता है,साथ ही हरित घर गैसें जैसे कार्बनडाइआक् साइड,नाइट्रस आॅक्साइड आदि का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिक के लिए उत्तरदायी होता हैं। फसल अवशेषों को जलाने से मृदा में उपस्थित कार्बनिक पदार्थो में भी अधिक तापमान के कारण हानि होती हैं।
एक एकड़ में एक लीटर होगा पर्याप्त
वैज्ञानिकों ने अभी तक के शोध में पाया हैं कि बायो- ड्राईजेस्टर 1 एकड़ भूमि के लिए 1 लीटर पर्याप्त होता हैं। जिसे जमीन की नमी के आधार पर ही स्प्रे करके नरवाई को समाप्त किया जा सकता हैं। इसके स्प्रे से 20 से 25 दिनों में नरवाई गल जाती हैं। हालांकि एक लीटर इस रसायन को ड्रम या फिर टैंक में पानी के साथ घोल सकते है। इसी से निकालकर उपयोग करते जाए और पानी डालते जाएं। जो अधिक समय तक एक बार में ही काम आ सकता हैं।