जब तक लॉकडाउन पूरी तरह से नहीं खुलेगा, धंधा मंदा ही रहेगा

भोपाल । इतने दिन हो गए काम करते हुए, मगर धंधा अब पहले जैसा नहीं रहा। पहले हम पांच सौ से लेकर छ: सौ रुपए तक का प्रतिदिन धंधा करते थे। मगर अब वह सौ से डेढ़ सौ तक सिमट गया है। कई दिन तो ऐसे निकलते हैं जब काम ही नहीं मिलता। यह कहना है छोटे लाल यादव का, जो वर्षों से ऑटो चला रहे हैं। उन्होंने बताया अब काम पहले जैसा नहीं रह गया है। इसकी वजह से परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन जब तक पूरी तरह नहीं खुलेगा, काम करना बहुत मुश्किल है। सवारियों से हमारा धंधा चलता है, जो बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, शादियों और बाजारों से आती हैं। इन पर शर्तों के कारण लोग बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।