खामोश जंगल के कोर एरिया से बफर में ठिकाना तलाश रहे वनराज

जबलपुर । पन्ना पार्क में इन दिनों प्रबंधन गांवों में मुनादी कराकर लोगों को अलर्ट कर रहा है, दरअसल पार्क के कोर एरिया से कुछ बाघ बफर जोन में ठिकाना तलाश रहे हैं, ऐसे में प्रबंधन की चिंता बाघों की सुरक्षा को लेकर बढ़ गई है। दरअसल ये चुनौती अकेले पन्ना पार्क की नहीं है, बल्कि पेंच, कान्हा और बांधवगढ़ सहित सतपुड़ा और संजय गांधी नेशनल पार्क में भी देखने को मिल रही है। हालांकि यह बात पार्क प्रबंधन सीधे तौर पर स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
आखिर क्या है कारण
जानकारों की मानें तो लॉक डाउन में लगातार जंगल में खामोशी से बाघों ने अपना रहवास एरिया बदला है। आम दिनों में लगातार पर्यटकों की आवाजाही और जिप्सियों के निकलने से बाघ परिवार अपनी टेरेटरी में रहता था, लेकिन अब जबकि पर्यटन पूरी तरह से बंद है, तब कोर एरिया में रहने वाले बाघ-बाघिन और शावक बफर की ओर मूव करते दिख रहे हैं।
ऐसे उजागर हुई है दस्तक
उल्लेखनीय है कि बफर जोन में बाघों की दस्तक उनके हमलों से उजागर हो रही है। पिछले तीन महीनों में छह पार्कों के जंगल में महुआ बीनने जाने वालों पर बाघ के हमलों से लॉक डाउन में आधा दर्जन मौतें हो ग। पेंच और बांधवगढ़ नेशनल पार्क में ज्यादा घटनाएं हु हैं, जबकि खुले जंगल में भी प्रदेश में जंगली जानवरों द्वारा हमलों की घटनाएं आए दिन सुनने को मिल रही हैं।
पन्ना में बाघिन की कदमताल
पन्ना पार्क के मढ़ियादोह-किशनगंज रेंज में एक बाघिन का लगातार मूव्मेंट बना हुआ है। मालूम हो कि इस बाघिन को कॉलर आईडी लगाने के लिए पार्क प्रबंधन ने अनुमति भी मांगी है। पार्क के अकोला बफर में भी तीन बाघ शावकों को एक साथ देखा गया था। सूत्रों के अनुसार यहां एक बाघिन ने ठिकाना बना रखा है, तालागांव के पास बाघिन रेस्ट हाउस के पास आराम करते भी दिखी है।
कुछ बाघ कोर जोन से बफर जोन की ओर मूव कर रहे हैं। बाघों की सुरक्षा को लेकर हम अलर्ट हैं। मढ़ियादोह-किशनगंज में घूम रही बाघिन को हम कॉलर पहनाने की अनुमति मांग चुके हैं। केएस भदौरिया, डायरेक्टर, पन्ना पार्क