बाजार दर से कम है मजदूरी फिर भी काम लेने वालों की कमी नहीं

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बाजार दर से कम है मजदूरी फिर भी काम लेने वालों की कमी नहीं

ग्वालियर। कोरोना वायरस आमजन की सेहत के लिए भले ही खराब है लेकिन मनरेगा के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। सामान्य दिनों में मनरेगा को मजदूर मिलना मुश्किल हो जाता था, अब बाजार दर से कम होेने पर भी काम करने के लिए मजदूरों का टोटा नहीं दिख रहा। बाजार में मजदूरी की रेट 300 रुपए है और मनरेगा की रेट 190 रुपए प्रतिदिन है। जिला पंचायत ने मनरेगा के काम शुरू कराए तो मजदूरी चाहने वालों की कतार लग गई। कोरोना के पहले जिले में जॉबकार्ड धारक 78 हजार थे लेकिन करीब 18 हजार प्रवासी मजदूर आने के बाद जिला पंचायत को 6 हजार नए लोगों को बिना कार्ड बनाए काम के लिए नामजद किया है। केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के निर्देश हैं कि अगर कोई प्रवासी व्यक्ति मजदूरी मांगता है तो उसे मनरेगा का काम जरूर दिया जाए। काम का संकट नहीं जिला पंचायत, जनपद पंचायत, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत द्वारा निर्माण कार्यों की फेहरिश्त जारी की जाएगी। इतनी अधिक एजेंसियां काम देंगी कि प्रवासी मजदूरों को रोजगार कमाने के लिए कोई दिक्कत नहीं रहेगी। इसकी होगी जांच जिला पंचायतऔर जनपदों के जरिए जिलेभर के 78 हजार जॉब कॉर्ड धारकों में अभी तक कितने लोगों ने रोजगार मांगा था इस हिसाब से जांच के बाद बिना काम वाले कार्डधारकों के नाम सूची से हटना चाहिए। क्योंकि मनरेगा के काम से दूरी बनाए रखने वाले लोग कार्ड का आधार पर सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं।