वेस्ट मैनेजमेंट से पहले अपशिष्ट की पहचान जरूरी: प्रो. तोमर

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वेस्ट मैनेजमेंट से पहले अपशिष्ट की पहचान जरूरी: प्रो. तोमर

ग्वालियर। रेडियोधर्मी अपशिष्ट प्रबंधन के सिद्धांतों का उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों को रेडियोधर्मी पदार्थों द्वारा उत्सर्जित आयनकारी विकिरणों के हानिकारक प्रभावों से बचाना है। परमाणु में रेडियोधर्मी कचरे के प्रबंधन को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है। रेडियोधर्मी अपशिष्ट कुछ तत्वों को कोविड-19 के निदान और उपचार के दौरान अनुकूलित किया जा सकता है। कोविड-19 का समय चुनौतीपूर्ण है। इस दौरान वेस्ट मैनेजमेंट पर भी फोकस करने की जरूरत है। वेस्ट मैनेजमेंट में सबसे पहले अपशिष्ट की पहचान करना भी जरूरी है। आरसीआईजी बार्क मुंबई के पूर्व निदेशक प्रो. बीएस तोमर शुक्रवार को जीवाजी विवि की रसायनविज्ञान अध्ययनशाला द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट ड्यृूरिंग द कोविड-19 पैंडेमिक विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर बोल रहे थे। नॉर्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी जलगांव के पूर्व वीसी डॉ. सुधीर मेशराम ने कहा कि आजकल बायोटेरेरिज्म जैसे कांसेप्ट काफी चलन में हैं, जिसके काफी दुष्परिणाम निकलकर आ रहे हैं। ऐसे में वेस्ट मैनेजमेंट का महत्व काफी बढ़ जाता है। जेयू के प्रो. डीडी अग्रवाल ने कहा कि वेस्ट मैनेजमेंट का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई संस्थान इस संबंध में कोर्स भी रन कराते हैं। इसके अलावा यह भी देखना होगा कि सेनिटाइजर आदि का उपयोग किस तरह से और कितना करना है। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में स्वयं ही दवाई निर्माण आदि के अवसर भी खोजने होंगे। इस अवसर कन्वीनर प्रो. राधा तोमर, प्रो. डीडी अग्रवाल, प्रो. जीबीकेएस प्रसाद, प्रो. डीसी गुप्ता, डॉ. केशव सिंह गुर्जर और डॉ. साधना श्रीवास्तव, आरती शर्मा, कौटिल्य तिवारी, नीरज कुमार सहित कई लोग मौजूद थे।

कोरोना से लड़ने में प्लास्टिक की पीपीई किट सुरक्षा कर रही है
 प्लास्टिक हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण तत्व है। कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ने में प्लास्टिक की पीपीई किट काफी सुरक्षा कर रही है। प्लास्टिक प्रबंधन के तहत इससे संबंधित कचरे को कम करने पर फोकस किया जा रहा है, ताकि हम पर्यावरण की सुरक्षा बेहतर तरीके से कर सकें।