बेटियों की अपील-ऐसे तो कर्ज से ही मर जाएंगे, हमें काम चाहिए

भोपाल। ‘तीन साल से पिता बिस्तर पर हैं। उनका कैंसर तीसरी स्टेज पर पहुंच चुका है। पहले पापा कांट्रेक्टर थे, सब कुछ ठीक था। तमाम लोगों का घर में आना-जाना था, लेकिन अब कोई सुध नहीं लेता, सिवाय पापा के दोस्तों के। अब कुछ लोग और मदद के लिए आगे आए हैं। वे राशन वगैरह दे जाते हैं, लेकिन हम इस हालत में हैं कि दूध का एक पैकेट भी बिना किसी की मदद के नहीं खरीद सकते। कर्ज बढ़ता जा रहा है, क्योंकि परिवार में कोई कमाने वाला नहीं। हम बहनें बस यह चाहती हैं कि आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार की मदद कर सकें।’यह वेदना है- मोनिका मालवीय की। मोनिका के पिता राजेश मालवीय बीते तीन साल से कैंसर से जूझ रहे हैं और इस दौरान परिवार में कमाई का कोई जरिया नहीं है। हबीबगंज क्षेत्र में रहने वाली मोनिका बताती हैं कि उनके परिवार में 8 लोग हैं, जिनमें वे दो बहनें और एक छोटा भाई है। माता-पिता के अलावा बुजुर्ग दादा-दादी और एक दिव्यांग बुआ हैं। मोनिका ने बताया कि दोनों बहनें 12वीं करने के बाद कंप्यूटर का कोर्स कर चुकी हैं और फर्स्ट ईयर का एग्जाम दिया है। मोनिका बताती हैं कि लोग भी आखिर कब तक मदद करेंगे। पापा का आयुष्मान कार्ड है, लेकिन वह तभी काम आता है, जब पापा अस्पताल में होते हैं। अभी 12 दिन से पापा घर में हैं तो दस हजार रुपए की उनकी दवाई लेनी थी। किसी से मदद मांगने में भी शर्म आती है। क्योंकि कोरोना संकट के इस दौर में लोग खुद मुश्किलों से जूझ रहे हैं। हम बहनें सोशल मीडिया के जरिए सीएम सर और मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी तक भी गुहार पहुंचाने की कोशिश कर चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई उम्मीद नजर नहीं आई।