होलसेलर को घर-घर जाकर बेचना पड़ रहा सामान

मैं केरला का रहने वाला हूं। पिछले साल दिसंबर में यहां आया था। मैंने यहां बैंटेक्स की ज्वैलरी का कारोबार शुरू किया। इसके लिए इतवारा में किराए पर दुकान ली। यहां से माल दुकानदारों सप्लाई करता था। कारोबार ठीक-ठाक चल रहा था। मार्च में लॉक डाउन से दुकानदारों को क्रेडिट पर दिया गया माल अटक गया। कारोबार पूरी तरह ठप हो गया। दुकानदारों से पैसे न मिलने के कारण न दुकान और घर का किराया नहीं दे पा रहा था। बचत का पैसा भी खत्म हो गया। लॉकडाउन का वक्त जैसे-तैसे गुजर गया, लॉक डाउन खुलने के बाद घाटे से उबरने के लिए व्यापारियों से क्रेडिट पर दिए गए माल का पैसा लौटाने को कहा, तो सभी ने अपनी दिक्कतें गिना दीं। ऐसे में दुकान में जो थोड़ा- बहुत माल बचा था, उसे बेचने के लिए कॉलोनियों-मोहल्लों में फेरी लगाना शुरू कर दिया। इसमें थोड़ा बहुत खर्च निकल पा रहा है। ’ यह व्यथा है पीएंडटी कॉलोनी में फेरी लगाकर बैंटेक्स की ज्वेलरी बेचने वाले जोसफ जॉन पल्लीस्सेरी की।