फ्रांस के शहरों में बढ़ा प्रदूषण, कोर्ट ने ठोका 91 करोड़ का जुर्माना

फ्रांसीसी सरकार पर कॉन्सिल डीएटैट कोर्ट ने की सख्ती

फ्रांस के शहरों में बढ़ा प्रदूषण, कोर्ट ने ठोका 91 करोड़ का जुर्माना

पेरिस। पूरी दुनिया में बढ़ता प्रदूषण जिंदगी के लिए सबसे बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है। भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के बड़े शहरों में भी जहरीली होती हवा ने चिंता बढ़ा दी है। यूरोप भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे ही एक मामले में फ्रांस की अदालत ने दो प्रमुख शहरों में सामान्य से अधिक प्रदूषण बढ़ने और उसे रोकने में सरकारी विफलता की वजह से सरकारी एजेंसियों पर 10 मिलियन यूरो (91.21 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया है। फ्रांस के शहर पेरिस और ल्योन में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर यूरोपीय सीमा से ऊपर बना हुआ है। फ्रांस की कॉन्सिल डीएटैट की अदालत ने कहा कि प्रदूषण रोकथाम के लिए सरकार ने फिलहाल जो कदम उठाए हैं, वे इस साल के मौजूदा बेहद कम वक्त में हालात को संभालने के लिए काफी नहीं हैं। इसके बाद कोर्ट ने राज्य को इन दो प्रमुख शहरों में लगातार बढ़ते प्रदूषण पर अतिरिक्त 10 मिलियन यूरो का भुगतान करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में प्रदूषण रोकथाम में विफलता के लिए 5 मिलियन यूरो का जुर्माना देना होगा, जबकि इस वर्ष की पहली छमाही में भी सरकार प्रदूषण रोकने में विफल रही है। इसके लिए भी 5 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया गया।

पिछले साल लगा था 30 मिलियन यूरो का जुर्माना

इसबीच फ्रांसीसी पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि वह राष्ट्रीय और स्थानीय दोनों स्तरों पर जितनी जल्दी हो सके, प्रदूषण को कम करने के लिए काम कर रहा है। इसके पहले अदालत ने वायु गुणवत्ता में सुधार में कमी के लिए राज्य पर 2022 और 2021 में 30 मिलियन यूरो का जुर्माना लगाया था। कोर्ट ने कहा है कि वह अगले साल फिर से सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करेगा।

यूरोप में प्रदूषण ने ली 3 लाख से ज्यादा की जान

यूरोप में तकरीबन 3 लाख से ज्यादा लोगों की जान वायु प्रदूषण ने ले ली। इन सभी लोगों की मौत मुख्य तौर पर तीन तरह के वायु प्रदूषण से जुड़े तत्वों की वजह से हुई। यूरोपीय एनवायरमेंट एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पीएम 2.5 की वजह से 2 लाख 53 हजार लोगों की समय से पहले मौत हो गई। पीएम 2.5 उन लोगों के लिए बेहद घातक होता है, जो हार्ट से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं। पीएम 2.5 के अलावा नाइट्रोजन ऑक्साइड की वजह से होने वाले प्रदूषण से तकरीबन 52 हजार लोगों की मौत हुई है। नाइट्रोजन ऑक्साइड उन लोगों के लिए नुकसानदेह है, जो डायबिटीज से जुड़ी समस्याओं के शिकार हैं। पीएम 2.5 और नाइट्रोजन ऑक्साइड के अलावा यूरोप में 22 हजार लोग ओजोन से प्रभावित होने की वजह से अपनी जान गंवा बैठे।

पोलैंड-जर्मनी भी हैं परेशान

पीएम 2.5 की वजह से सबसे ज्यादा मौतें पोलैंड, इटली और जर्मनी में हुई है, जबकि उत्तरी यूरोप के देश आइसलैंड, स्कैंडिनेविया और एस्टोनिया में पीएम 2.5 का असर सबसे कम रहा। इसके अलावा नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओजोन की वजह से होने वाले प्रदूषण के कारण तुर्की, इटली और जर्मनी जैसे देशों में सबसे ज्यादा लोग मरे हैं।

भारत में हर साल 15 लाख से ज्यादा लोगों की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की औसत उम्र कम हो रही है। भारत में हर साल प्रदूषण से मरने वालों की संख्या 15 लाख से अघिक है। पीएम 2.5 की मात्रा 60 जब तक है, तब तक तो खुली हवा में सांस लेना सही समझा जाता है।