लाल सागर संकट से कच्चे तेल की आपूर्ति में व्यवधान नहीं, लागत बढ़ी

लाल सागर संकट से कच्चे तेल की आपूर्ति में व्यवधान नहीं, लागत बढ़ी

नई दिल्ली। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के चेयरमैन पुष्प कुमार जोशी ने कहा कि लाल सागर में हुती विद्रोहियों द्वारा माल ढुलाई जहाजों पर किए जा रहे हमलों से भारत में कच्चे तेल की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा कि हालांकि, रास्ता बदलकर अपेक्षाकृत लंबे केप ऑफ गुड होप मार्ग अपनाने के कारण माल ढुलाई की लागत बढ़ गई है। तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक भारत में रूस से तेल की आपूर्ति लाल सागर मार्ग से होती है। पिछले साल भारत के कुल कच्चे तेल के आयात में रूसी आपूर्ति 35 प्रतिशत से अधिक थी, जो प्रति दिन 17 लाख बैरल थी। रूसी जहाज और मालवाहक फिलहाल हमलों का मुख्य लक्ष्य नहीं हैं।

हालांकि, स्वेज नहर और लाल सागर के माध्यम से आवागमन के बजाय अफ्रीका के दक्षिणी सिरे के आसपास का मार्ग अपनाने से जहाजों को लंबी यात्राएं करनी पड़ रही हैं, जिससे जहाजों की कमी हो गई है और माल ढुलाई लागत में वृद्धि हो गई है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के नतीजे आने के बाद निवेशकों के साथ चर्चा में जोशी ने कहा कि एचपीसीएल ने अप्रैल के मध्य तक कच्चे तेल की आपूर्ति तय कर दी है और उसे आपूर्ति में कोई बाधा नहीं दिख रही है। एचपीसीएल अपनी कच्चे तेल की 44-45 प्रतिशत जरूरतों को सऊदी अरब और इराक की राष्ट्रीय कंपनियों से किए गए करार के जरिए पूरा करती है।

लाल सागर मार्ग से देश का निर्यात 50%, आयात 30%

लाल सागर जल मार्ग के आसपास चल रहे संकट का प्रभाव विभिन्न उद्योगों के आधार पर अलग-अलग होगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में देश के निर्यात का 50 प्रतिशत और आयात का 30 प्रतिशत इस मार्ग से हुआ है। क्रिसिल रेटिंग्स ने लाल सागर संकट के कारण देश में विभिन्न व्यापार खंडों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है। लाल सागर व्यापारिक मार्ग में संकट तब शुरू हुआ जब यमन स्थित हुती विद्रोहियों ने अक्टूबर, 2023 में शुरू हुए इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध के कारण नवंबर में वहां से गुजरने वाले वाणिज्यिक माल ढुलाई जहाजों पर लगातार हमले किए। फिलहाल अमेरिकी और ब्रिटेन की सेना भी विद्रोहियों पर जवाबी हमले में लगी हुई है।