77 साल में दोगुनी हो सकती है देश की जनसंख्या, अभी 144.17 करोड़
नई दिल्ली। भारत में आखिरी जनगणना 2011 में की गई थी। उस वक्त भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा आबादी वाला देश था और देश की जनसंख्या 121 करोड़ थी। भारत की ताजा जनसंख्या पर यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) ने रिपोर्ट जारी की है, जिसके मुताबिक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन गया है। यूएनएफपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 144.17 करोड़ की अनुमानित आबादी के साथ पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है, इसके बाद चीन 142.5 करोड़ की आबादी के साथ दूसरे स्थान पर है।
इस रिपोर्ट में ये भी अनुमान लगाया गया है कि भारत की आबादी आने वाले 77 सालों में दोगुनी हो सकती है। रिपोर्ट में जनसंख्या के साथ-साथ नवजात बच्चों की मौत, महिलाओं और एलजीबीटीक्यू की स्थिति के बारे में भी डेटा दिया गया है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में मातृ मृत्यु में काफी भारी गिरावट आई है।
देश के एक-तिहाई जिलों ने मातृ मृत्यु कम करने का लक्ष्य पाया
पीएलओएस की ग्लोबल पब्लिक हेल्थ रिपोर्ट का हवाला देते हुए यूएनएफपीए ने कहा कि सर्वे में पता चला है कि भारत के 640 जिलों में से एक-तिहाई जिलों ने मातृ मृत्यु कम करने के लिए सतत विकास लक्ष्य हासिल कर लिया है। बता दें, भारत सरकार द्वारा नवजात की मृत्यु दर को कम करने और शिशुओं और मांओं को पौष्टिक आहार मुहैया कराने के लिए कई स्कीम चलाई जा रही हैं। इसके अलावा अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं ने भी जनसंख्या बढ़ोतरी में अहम किरदार निभाया है।
हेल्थ में भारत 30 साल में सबसे बेहतर
यूएनएफपीए की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ 30 सालों के सबसे बेहतर स्तर पर है। यही कारण है कि डिलीवरी के दौरान होने वाली मौतों की संख्या में भी गिरावट आई है। दुनिया में हो रही ऐसी मौतों में भारत का हिस्सा 8 फीसदी है।
यौन हिंसा का खतरा दिव्यांग पुरुषों से ज्यादा दिव्यांग महिलाओं को
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिव्यांग महिलाओं से यौन हिंसा का खतरा दिव्यांग पुरुषों की अपेक्षा 10 गुना अधिक है। दिव्यांग, प्रवासी-शरणार्थी, अल्पसंख्यक, एलजीबीटीक्यू, एचआईवी पीड़ित और वंचित- दलित वर्गों की महिलाओं को अब भी यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में जोखिम का सामना करना पड़ा रहा है। स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में सुधार का लाभ मुख्य रूप से धनी महिलाओं और उन जातीय समूहों से संबंधित लोगों को हुआ है, जिनके पास पहले से ही स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच थी।
16 साल में देश में 23% बाल विवाह
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2006-2023 के बीच 23 फीसदी बाल विवाह हुए हैं, जिनमें लड़के और लड़की की उम्र 21 और 18 साल से कम थी। वहीं डिलीवरी के समय होने वाली महिलाओं की मौतों की संख्या में कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मातृ मृत्यु दर में काफी गिरावट आई है, जो कि दुनिया भर में ऐसी सभी मौतें का 8 फीसदी है। भारत में इस सफलता का क्रेडिट सरकार के सस्ती और अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं को जनता तक पहुंचाना और लैंगिक भेदभाव को कम करने के प्रयासों को दिया है।
रिपोर्ट में ये बातें हैं खास
- 2016 के बाद से हर दिन 800 महिलाओं की बच्चे को जन्म देते समय मौत हो जाती है।
- आज भी एक चौथाई महिलाएं अपने पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने से इंकार नहीं कर सकती हैं।
- 10 में से 1 महिला आज भी गर्भनिरोधक उपायों के बारे में खुद निर्णय नहीं ले सकती।
- 40 फीसदी देशों में महिलाएं शारीरिक संबंधों का फैसले लेने में पुरुषों से पीछे हैं।