आद्य शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र शुरू

आद्य शक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र शुरू

ग्वालियर। मां की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र मंगलवार को घट स्थापना के साथ शुरु हो गया। सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र के संयोग घट स्थापना की गई। इस वर्ष मातारानी घोड़े पर सवार होकर आई हैं, जबकि प्रस्थान हाथी पर करेंगी। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ. हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस साल मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आई हैं, घोड़े को युद्ध का प्रतीक माना जाता है। माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव, अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप, चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि की संभावना बनी रहती है। हाथी की सवारी काफी शुभ मानी जाती है।

इससे माता रानी भक्तों को सुख, समृद्धि देकर विदा होंगी। चैत्र नवरात्र में माता की पूजा क्षमा, प्रार्थना के साथ की जाना चाहिए। प्रत्येक दिन विधिवत पूजा करने के बाद क्षमा, प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल देंगी। मंगलवार को भक्तों ने मांढरे वाली माता, शीतला माता, नहर वाली माता, पहाड़ाय वाली माता, मंशा देवी, वैष्णो देवी, भेलसा वाली माता, महलगांव वाली करौली माता, पुराना हाईकोर्ट गली में काली माता आदि मंदिरों में मातारानी की पूजा-अर्चना की। व्रत-उपवास रखे। नौ दिन तक चलने वाले इस महापर्व को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा जा रहा है।

नए वर्ष का राजा मंगल, शनि मंत्री होंगे

डॉ. जैन ने बताया कि मंगलवार से विक्रम संवत 2081 शुरु हो गया। है। इसके राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। इसका नाम कालयुक्त संवत है। इस वर्ष पांच स्थान शुभ और पांच स्थान अशुभ ग्रहों को प्राप्त होने से जन मानस में आपसी क्लेश रहेगा, प्रजा में जाति भेद बढ़ेगा, आर्थिक विफलता से शासन की परेशानी बढ़ेगी। वर्ष का राजा मंगल होने से युद्ध, चोरी, भ्रष्टाचार और बढ़ेंगे। जाति उन्माद बढ़ेगा। इस वर्ष मंत्री शनि के होने से राजकोष में धन की कमी, खर्च ज्यादा, धान्य और महंगे होंगे। संसद में अमर्यादित व्यवहार रहेगा।