बरगद के वृक्ष पर मप्र के साथ 5 राज्यों के जनजातीय जीवन की दिखेगी झलक
मध्यप्रदेश में कई जनजातियां निवास करती हैं। सभी की संस्कृति और परंपराएं अलग-अलग हैं। इसी को लेकर मप्र जनजातीय संग्रहालय की गैलरी क्रमांक-1 में दो तलीय ‘सांस्कृतिक वैविध्य गैलरी’ बनाई जा रही है। इस गैलरी में प्रदेश के राजकीय चिह्न बरगद की विशाल आकृति बनाई जा रही है, जिस पर मप्र के साथ ही राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात के जनजातीय जीवन पर आधारित कलाकृति को दर्शाया जाएगा। संग्रहालय में बरगद के वृक्ष की आकृति को पेपरमैशी, पाइप, जूट की रस्सी से तैयार की जा रही है। अभी तक करीब 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। हॉल को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि बीच हिस्से का वट वृक्ष सब कुछ अपने आप में समेटे हुए लगेगा। इसकी शाखाओं पर दर्शक ट्राइबल्स के ट्रेडिशन को देख सकेंगे।
मानचित्र पर दिखाएंगे जनजातियों की मौजूदगी
जनजातीय परंपराओं में बरगद के वृक्ष का विशेष स्थान है। इसलिए इस हॉल के सेंटर में बरगद पेड़ डिजाइन किया गया है। ये मानचित्र के बीच फैलता हुआ प्रतीक होगा। दीर्घा के मध्य भाग में प्रदेश का त्रि-आयामी मानचित्र तैयार किया जाएगा, जिस पर प्रदेश की सभी प्रमुख छह जनजातियों की प्रतीकात्मक उपस्थिति दर्शायी जाएगी। इसके अलावा दीर्घा में एक स्थान से उठतीं सीढ़ियां ऊपर जाकर सर्पिलाकार रैंप से जुड़ेंगीं। गैलरी के ग्राउंड फ्लोर पर मध्यप्रदेश व आसपास के राज्यों की सांस्कृतिक झलक देखने को मिलेगी। इससे दर्शक उनकी लाइफ स्टाइल के फर्क को जान सकेंगे।
ओडिशा, मप्र के कलाकार तराश रहे आकृति
जनजातीय संग्रहालय के अध्यक्ष अशोक मिश्रा ने बताया कि गैलरी में एक विशाल बरगद के वृक्ष की प्रतिकृति तैयार की जा रही है, क्योंकि आदिवासी परंपराओं में बरगद के वृक्ष को विशेष स्थान दिया है। बरगद के इस पेड़ को ओडिशा और मप्र के कलाकार तराशने का काम कर रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि ओडिशा के कलाकार स्टोन कार्विंग टेक्निक में निपुण होते हैं, इसलिए वे इस गैलरी के निर्माण में योगदान दे रहे हैं। इसके साथ भोपाल के आर्टिस्ट भी काम रहे हैं। वहीं विभिन्न जनजातीय समुदायों की संस्कृति को उकेरने का काम जनजातीय समुदायों के लोगों द्वारा किया जाएगा।