सरकारी अस्पतालों में नहीं लग रहा मम्प्स चिकनपॉक्स का टीका, प्राइवेट में लूट जारी

सरकारी अस्पतालों में नहीं लग रहा मम्प्स चिकनपॉक्स का टीका, प्राइवेट में लूट जारी

ग्वालियर। सालों बाद शहर में मम्प्स यानि गलसुआ का प्रकोप बढ़ रहा है, पैरामिक्सो नामक वायरस के कारण फैलने वाली इस बीमारी से अन्य आयुवर्ग की तुलना में बच्चों पर इसका प्रकोप अधिक नजर आ रहा है, कई घरों में बच्चे इस पीड़ादायक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन सरकारी सिस्टम की लापरवाही देखिए कि सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी से बचाने का टीका ही नहीं लगाया जा रहा है। दूसरी ओर प्राइवेट अस्पतालों में इसका टीका बच्चों को लगाया जा रहा है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में वैक्सीनेशन नहीं होने के कारण लूट मची हुई है, अलग-अलग क्लीनिकों पर ट्रेसिवक वैक्सीन की अलग- अलग रेट हैं।

डॉक्टर 650 से 800 रुपए तक वैक्सीनेशन के नाम पर अभिभावकों से वसूल रहे हैं, इसमें डॉक्टर बच्चों को एमआर का टीका लगाते हैं। इसके दो डोज लगाए जाते हैं पहला 9 महीने एवं दूसरा टीका 15 महीने की आयु में, दूसरी ओर सरकारी सिस्टम की बात की जाए तो यहां पर बच्चों को केवल एमआर यानि की मीजल्स-रुबेला का टीका ही लगाया जाता है। केवल मम्प्स ही नहीं बल्कि बच्चों का दूसरा महत्वपूर्ण टीका चिकनपॉक्स (माता आना, चेचक) का भी सरकारी टीकाकरण से गायब है, बच्चों को इसका पहला टीका 12 एवं दूसरा 18 महीने की आयु में लगाया जाता है और इसकी वैक्सीनेशन 2200 से 2800 रुपए तक में लगाई जा रही है।

यह लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञों की मानें तो यह पैरामायोक्सोवाइरस नामक वायरस के कारण होता है। इसमें सलाइवेरी ग्लैंड में सूजन और दर्द होता है। यह वायरस नाक के स्राव के माध्यम से फैलता है। मम्प्स तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इस रोग में सिरदर्द, बुखार, थकान, भूख न लगना और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण के साथ जबड़े में सूजन भी दिखाई देती है। कई बार यह वायरस कान और आसपास के अंगों को और ज्यादा इन्फेक्टेड कर चुका होता है। इसके चलते सुनने की क्षमता भी जा सकती है। अगर किसी बच्चे या व्यक्ति में इसके लक्षण नजर आएं, तो इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को कुछ दिनों के लिए आइसोलेट कर दें। मास्क लगाकर रहें, रोगी की इस्तेमाल की हुई चीजों को अलग रखें और अच्छे से साफ-सफाई के बाद ही दोबारा इस्तेमाल करें। हाथों को साबुन से धोना सबसे कारगर उपाय है।

पांच साल तक के बच्चों को लगते हैं 9 टीकें

सरकारी टीकाकरण की बात की जाए तो शासन के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के टीकाकरण केन्द्रों पर 0 से पांच साल के बच्चों का सात बार टीकाकरण होता है। इनमें बच्चों को कुल 9 टीके लगाए जाते हैं जो कि 11 बीमारियों से बचाते हैं।