नेपाल में राजनीतिक संकट, ओली ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लिया

नेपाल में राजनीतिक संकट, ओली ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापस लिया

काठमांडू।  संसद में नेपाल के दूसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल सीपीएन-यूएमएल ने सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नए सिरे से राजनीतिक समीकरण के मद्देनजर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने का फैसला किया। इस कदम को देश में दो महीने पहले गठित सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। सीपीएन-यूएमएल की केंद्रीय प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने बताया पार्टी प्रमुख के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व में सोमवार को हुई इसकी एक उच्च स्तरीय बैठक में सरकार छोड़ने और प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से पार्टी का समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया। पुष्प कमल दहल प्रचंड (68) ने पिछले साल 26 दिसंबर को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। नेपाल के मीडिया की खबरों के अनुसार, प्रचंड के नेतृत्व वाली सीपीएन-माओवादी सेंटर सहित आठ राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति पद चुनाव के दौरान नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौडयाल को समर्थन देने का निर्णय लिया है। 

सरकार के अस्तित्व पर फिलहाल नहीं पड़ेगा कोई असर

सीपीएन-यूएमएल के अलग होने से प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार के अस्तित्व पर तुरंत असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि संसद में नेपाली कांग्रेस (एनसी) के 89 सदस्य हैं। इस बीच, पूर्व टीवी पत्रकार रवि लामिछाने के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने सरकार को अपना समर्थन जारी रखने का फैसला किया है। आरएसपी के संसदीय दल के उप नेता बिराज भक्त श्रेष्ठ ने कहा कि सोमवार को पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक में प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने का फैसला किया गया। नेपाल की 275 सदस्यीय संसद में यूएमएल के 79 सांसद हैं। इसी तरह, सीपीएन (माओवादी सेंटर), सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के क्रमश: 32, 10 और 20 सदस्य हैं। नेपाली संसद में जनमत पार्टी के छह, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के चार और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के तीन सदस्य हैं। तीन प्रमुख दलों, नेकां (89), सीपीएन-माओवादी सेंटर (32) और आरएसपी (20) के साथ, सरकार को कम से कम 141 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। प्रचंड को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए संसद में केवल 138 वोटों की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति चुनाव में पौड्याल को समर्थन देना पड़ गया भारी

प्रचंड और ओली की पार्टी के अलग होने की मुख्य वजह माओवादी नेता (प्रचंड) द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचंद्र पौड्याल का समर्थन करने का फैसला बताया जा रहा है। पौड्याल की नेपाली कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है। नेपाल में राष्ट्रपति चुनाव नौ मार्च को होंगे। रिजाल ने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने सात-दलीय गठबंधन सरकार बनाने के दौरान 25 दिसंबर के समझौते का उल्लंघन किया और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी- (सीपीएन-यूएमएल) को धोखा दिया ऐसे में पार्टी ने सरकार छोड़ने का निर्णय लिया। 

मंत्रियों को बर्खास्त करने की धमकी देने का भी आरोप

माई रिपब्लिका अखबार के अनुसार, पौडेल ने दावा किया कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने यूएमएल के मंत्रियों को सरकार से बाहर करने के लिए दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया, जिसके चलते पार्टी को समर्थन वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। पौडेल ने कहा कि प्रचंड ने चेतावनी दी थी कि अगर सीपीएन-यूएमएल सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग नहीं होती है तो वह उसके मंत्रियों को तत्काल बर्खास्त कर देंगे या फिर उनके बिना ही विभागों में मंत्री नियुक्त कर देंगे। प्रधानमंत्री प्रचंड ने जिनेवा जा रहीं विदेश मंत्री बिमला राय पौड्याल को आखिरी समय में रोककर अपरिपक्वता का प्रदर्शन किया। 

सरकार पर खतरे के बीच प्रचंड ने कतर यात्रा की रद्द

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की कतर यात्रा देश में कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यक्रमों के चलते रद्द कर दी गई है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। प्रचंड की सरकार पर मंडरा रहे खतरे और आगामी राष्ट्रपति चुनाव के बीच यह फैसला किया गया है। प्रचंड सबसे कम विकसित देशों के पांचवें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तीन मार्च को कतर रवाना होने वाले थे। कार्यभार संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा होती। प्रचंड के मीडिया समन्वयक ने कहा, प्रधानमंत्री का कतर जाने का कार्यक्रम कुछ महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यों के चलते रद्द कर दिया गया है।