श्रीलंका के राम- रावण काव्यम में महिला कलाकार ही बनीं राम-लक्ष्मण और जटाय

श्रीलंका के राम- रावण काव्यम में महिला कलाकार ही बनीं राम-लक्ष्मण और जटाय

रामलीला में कई बार सीता व अन्य महिला किरदार पुरूषों को निभाते देखा होगा लेकिन श्रीलंका की श्रीराम-रावण काव्यम प्रस्तुति में राम, लक्ष्मण और जटायु महिला कलाकार बनीं। यह इस रामलीला की विशेषता रही। इस रामलीला में कुछ अन्य किरदार भी महिलाओं ने ही निभाए। रंग-बिरंगे कास्ट्यूम व सुंदर प्रॉप्स के साथ इस प्रस्तुति को भरतनाट्यम और श्रीलंका के कांदियन फोक डांस के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। कांदियन फोक डांस का नाम श्रीलंका के कैंडी से लिया गया। यह कोलंबो से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसे शुद्ध नृत्य माना जाता है एवं इसमें ताल (लय) होती है। प्रस्तुति में कलाकारों ने शुरुआत में श्रीलंका के परिदृश्य को दिखाया एवं अगले दृश्य में रावण का आगमन होता है जो माता सीता का हरण कर लेता है। अगले दृश्यों में मारीच वध, शूर्पणखा वध,किष्किंधा वन में सुग्रीव और हनुमान का मिलन, श्रीहनुमान का लंका में आगमन, श्रीराम-रावण युद्ध, अयोध्या में श्रीराम राज्याभिषेक दृश्य दिखाए गए। संस्कृति विभाग एवं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद(आईसीसीआई),नई दिल्ली के सहयोग से 22 अक्टूबर तक श्रीरामकथा के विविध प्रसंगों एकाग्र सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय श्रीरामलीला उत्सव का आयोजन रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच से किया जा रहा है।

ओडिशा के रामजात्रा नृत्य नाटिका की प्रस्तुति

मीरादास एवं साथी, भुवनेश्वर (ओडिशा) द्वारा श्रीराम प्रेमभक्ति कथा: ओडिशा नृत्य की दी गई। ओडिशा की राम जात्रा का स्वरूप मुख्यत: नृत्य नाटिका का है। रामलीला में प्रयोग किए जाने वाले मुखौटे, खासकर जगन्नाथपुरी में ही उपलब्ध स्थानीय सामग्री से तैयार किए जाते हैं। घूमता हुआ पुष्पक विमान, चलता हुआ रथ आभूषण वेशभूषा आदि का निर्माण और उनका कल्पनाशील प्रयोग राम जात्रा में होता है। यहां रामलीला में बांस, लकड़ी, घास, पोरा, ओगर, आदि से आठ मीटर ऊंचाई की रावण की मूर्ति बनाई जाती है। रवींद्र भवन स्वाद व्यंजन मेला में बघेली व्यंजन में पानी वाला बरा-चटनी, रसाज, बुंदेली में गोरस, बिजोरा, गुलगुला एवं राजस्थानी में जोधपुरी प्याज की कचौरी, बिहारी में लिट्टी-चोखा, मराठी व्यंजन एवं सिंधी, भील एवं गोंड व्यंजन भी शामिल हैं। कार्यक्रम में प्रवेश निशुल्क है।