जहां मुस्लिम बरसों से वजू कर रहे थे, वहीं निकला 12.8 फीट का शिवलिंग!

जहां मुस्लिम बरसों से वजू कर रहे थे, वहीं निकला 12.8 फीट का शिवलिंग!

वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे सोमवार को पूरा हो गया। सोमवार को टीम ने नंदी के सामने बने कुएं का सर्वे किया। यहां 12.8 फीट का शिवलिंग मिलने की बात सामने आई है। मस्जिद के अंदर यह वही जगह है, जहां मुस्लिम वर्षों से नमाज से पहले वजू (हाथ धोना)करते आ रहे हैं। शिवलिंग मिलने की खबर के बाद हिंदू पक्ष इसे सुरक्षित और संरक्षित करने की मांग लेकर कोर्ट पहुंचा। इस पर वाराणसी की अदालत ने जिला प्रशासन को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस हिस्से को सील करने का निर्देश दिया, जहां शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। कोर्ट ने सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया है। आज कोर्ट के सामने सर्वे रिपोर्ट पेश होनी है।

आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। शुक्रवार को शीर्ष कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर सुनवाई और अंतरिम आदेश देने से इंकार किया था।

जल्दबाजी में सुनाया फैसला

जब कोर्ट के आर्डर से कमिश्नर अपॉइंट हुए थे तो पहले उनकी रिपोर्ट देखनी थी। सिर्फ एक पक्ष की बात पर फैसला सुनाना जल्दबाजी है। - अमानुल्ला उस्मानी, अधिवक्ता मप्र हाईकोर्ट

सर्वे के तुरंत बाद कोर्ट पहुंचा हिंदू पक्ष, मुस्लिम पक्ष ने दावा मानने से किया इनकार

हिंदू पक्ष : बाबा मिल गए

हिंदू पक्ष के सोहन लाल ने कहा- बाबा मिल गए। वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने इस स्थल को संरक्षित करने के निर्देश दिए। इस मस्जिद में अब 20 लोग ही नमाज पढ़ सकेंगे।

मुस्लिम पक्ष : यह फव्वारा

'अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी' के संयुक्त सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के फव्वारे में हरा पत्थर लगाया गया था, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में जो अर्जी दी, हमें जानकारी नहीं है।

कलेक्टर : रिपोर्ट आने दें

वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा ने कहा- कोर्ट कमिश्नर ने सभी पक्षों को निर्देश दिया था कि 17 मई को अदालत में रिपोर्ट पेश की जाएगी, और तब तक किसी को भी खुलासा नहीं करना चाहिए कि मस्जिद परिसर के अंदर क्या मिला है।

क्या कहता है कानून

1991 के उपासना स्थल (स्पेशल प्रोविजन) कानून की धारा 4 के तहत 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी धर्म के पूजा स्थल को नहीं बदला जा सकता। सिर्फ अयोध्या स्थित राम मंदिर को इसमें छूट दी गई थी।