भोपाल के तीन गोदामों में रखा 1315 मीट्रिक टन चावल निकला घटिया

भोपाल के तीन गोदामों में रखा 1315 मीट्रिक टन चावल निकला घटिया

भोपाल। मंडला और बालाघाट में चावल घोटाले के मामले की जांच भोपाल तक पहुंच गई है। जिले के 3 जगहों बैरसिया, छोला रोड तथा करोंद मंडी के गोदामों में रखे 2011.6 मीट्रिक टन चावल में से 1315.4 मीट्रिक टन चावल खराब क्वालिटी का निकला है। इसमें से 68.9 मीट्रिक टन चावल खाने योग्य नहीं है। यह खुलासा नई दिल्ली से आई फूड कार्पोरेशन आॅफ इंडिया (एफसीआई) की जांच टीम ने किया है। 21 सैंपलों में से 16 सैंपल जांच में फेल पाए गए। 68.9 मीट्रिक टन सबसे खराब चावल करोंद मंडी के एमपीडब्ल्यूएलसी गोदाम के स्टैक वन में मिला। एफसीआई की जांच रिपोर्ट में जिले के करोंद मंडी व छोला क्षेत्र के गोदामों में रखे 2011.6 मीट्रिक टन चावल में से केवल 696.2 मी.टन ही ‘ए’ ग्रेड क्वालिटी (एफएक्यू) का है। 1315.4 में से 1246.5 मी. टन चावल ‘बी’ तथा 68.9 मी. टन ‘सी’ क्वालिटी के निकले हैं। अब नागरिक आपूर्ति निगम और वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के अधिकारी इस गलती को छुपाने में लगे हैं। ज्ञात हो कि बालाघाट से आया चावल बैरसिया और छोला तथा कटनी का चावल करोंद मंडी के गोदामों में रखा गया है।

नॉन और वेयर हाउस के अफसर दबा रहे हैं मामला

घटिया चावल की पोल खुली तो अब वेयर हाउस और नॉन के अधिकारी मामले को दबाने में लगे हैं। उन्हें बाहर से आए चावल की क्वालिटी को चेक कराए बिना गोदामों में जमा नहीं होने देना था। हर एक बोरी में परखी लगवाकर चावल की जांच करनी थी, लेकिन वह नहीं कराई गई। यही नहीं वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के अधिकारियों ने बिना देखे ही चावल गोदाम में रखवा लिया। इससे साफ है कि क्वालिटी कंट्रोल टीम के साथ साथ ये दोनों विभाग के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि उन्हें केवल ए-क्वालिटी का चावल ही गोदामों में रखवाना था, जबकि अन्य को रिजेक्ट कर वापस भेज देना था, जो उन्होंने नहीं किया। जब दोनों विभागों के अफसरों से सी-ग्रेड पाए गए घटिया चावल के बारे में पूछताछ की तो वे एक दूसरे से अनुमति की बात कहकर मामले को टालते रहे और चावल देखने गोदाम के अंदर नहीं जाने दिया गया।

विभाग के 16 क्वालिटी कंट्रोल अधिकारियों ने दो बारचावल के ए ग्रेड होने की दी थी रिपोर्ट

मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के भोपाल सहित पूरे प्रदेश में ए ग्रेड क्वालिटी का चावल खरीदा जाए, इसके लिए उनके उपमहाप्रबंधक जीपी बित्थारिया ने 16 क्वालिटी कंट्रोल अधिकारी भी भोपाल सहित प्रदेश भर में तैनात किए थे। सभी ने जांच कर सभी गोदामों में रखे चावल की क्वालिटी को ए ग्रेड बताया था। विभाग की टीम ने बीच के पांच महीनों में भी गोदामों में रखे चावल की जांच कर क्वालिटी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें भी चावल की गुणवत्ता सही बताई गई थी। अब एफसीआई की टीम ने उनकी क्वालिटी जांच की पोल खोलकर रख दी है और भोपाल में रखे 2011.6 मेट्रिक टन चावल में से 65.39 प्रतिशत चावल की क्वालिटी को ठीक करार नहीं दिया है।