सूखी सेवनिया ट्रैक पर खतरा बढ़ा, एक साल में दो तेंदुओं की ट्रेन से कटकर हो चुकी है मौत

सूखी सेवनिया ट्रैक पर खतरा बढ़ा, एक साल में दो तेंदुओं की ट्रेन से कटकर हो चुकी है मौत

भोपाल। वन्य प्राणियों को ट्रेन की चपेट में आने से बचाने के लिए रेल प्रबंधन और वन विभाग द्वारा दो साल पहले तैयार कार्ययोजना बरखेड़ा-बुधनी रेलखंड पर लागू की गई है। इस ट्रैक पर दो साल के दौरान इस तरह की घटनाओं में खासी कमी आई है, लेकिन यह कार्ययोजना सूखी सेवनिया ट्रैक पर लागू नहीं की गई। शायद यही वजह है कि 12 अक्टूबर को समरधा के अमोनी बीट के पास एक मादा तेंदुए की सूखी सेवनिया रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। वह गर्भवती थी। सालभर पहले भी इसी स्थान से कुछ दूरी पर एक मादा तेंदुए की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। उसके पेट में चार शावक थे।

भोपाल रेल मंडल के पीआरओ सूबेदार सिंह ने बताया कि थर्ड रेल लाइन पर भोपाल से बुधनी के बीच 20 अंडर पास, 5 ओवरपास बनाए जा रहे हैं। वहां वन्य प्राणियों के लिए तालाब भी बनाए गए हैं, ताकि ट्रैक पार करते समय वन्य जीवों की मौत न हो। हालांकि यह कार्ययोजना सूखी सेवनिया वाले रेलवे ट्रैक पर लागू नहीं की जा सकी।

क्यों ट्रेनों की चपेट में आते हैं वन्य प्राणी: तत्कालीन पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) आलोक कुमार बताते है कि उनके कार्यकाल में रेलवे- वन विभाग द्वारा किए गए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया था कि ट्रेनों की पेंट्री कार से बचा हुआ खाना बाहर फेंक दिया जाता है। हिरण सहित अन्य वन्य प्राणी उसकी तलाश में ट्रैक तक आ जाते हैं। इनका पीछा करते हुए बाघ, तेंदुआ भी वहां पहुंच जाते हैं और ट्रेन की चपेट में आने से उनकी मौत हो जाती है।

हर साल बाघ, तेंदुए सहित 100 वन्य प्राणियों की होती है मौत: वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट का कहना है कि बरखेड़ा-बुधनी रेलवे ट्रैक पर हर साल 3 से 5 बाघ और तेंदुओं के अलावा हिरण, भालू, चीतल सहित करीब 100 वन्य प्राणियों की ट्रेन से कटकर मौत होती है।

क्या थी कार्ययोजना

  • रेलवे ट्रैक पर वन्य प्राणियों की उपलब्धता वाले स्थान के दोनों तरफ फेसिंग। 
  • वन्य प्राणियों के लिए रेलवे ट्रैक पर अंडर वे, पाथ वे निर्माण। 
  • रेलवे ट्रैक से कुछ दूरी पर छोटे तालाब, ताकि पानी की तलाश में वन्य जीव ट्रैक पर न आएं। 
  • पेंट्री कार वालों को समझाया जाए कि बचा खाना ट्रैक पर न फेंकें। 
  • लोको पायलट्स को जागरूक किया जाएगा कि जिस जगह पर ज्यादा वन्य प्राणी होते हैं, वहां पर स्पीड कम रखें। 
  • रेलवे ट्रैक पर वन्य प्राणियों वाले स्थान पर साइनेस लगाए जाएंगे। 
  • रेलवे ट्रैक पर ऐसे बिलैक स्पाट चिन्हित किए जाएंगे, जहां वन्य प्राणी आते हैं।

गुजरात के गिर में ट्रेन की चपेट में क्यों नहीं आते लॉयन?

केंद्र सरकार ने सड़क और रेलवे ट्रैक पर वन्य प्राणियों की मौतों का रोकने के लिए लिटिगेशन कोड तैयार किया है। मप्र में वन अमला इस पर ध्यान नहीं दे रहा। क्या कारण है कि गिर में कोई लॉयन ट्रेन की चपेट में नहीं आता। वहां रेल- वन विभाग में समन्वय है। रेल ड्रायवरों और अन्य स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाती है कि जंगल से गुजरते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। मप्र में ऐसा समन्वय नहीं दिखता। - अजय दुबे, आरटीआई एक्टिविस्ट,भोपाल

रेलवे और वन विभाग द्वारा तैयार कार्ययोजना बरखेड़ा-बुधनी ट्रैक पर लागू की गई है। इससे दो साल में कोई बड़ा वन्य प्राणी ट्रेन की चपेट में नहीं आया। वन विभाग ने पटरियों के आसपास वन्य प्राणियों के लिए पानी की व्यवस्था के लिए छोटे-छोटे तालाब बनाए हैं। जल्द ही सूखी सेवनिया ट्रैक पर इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। - सौरभ कटारिया, सीनियर डीसीएम, भोपाल रेल मंडल

सूखी सेवनिया में अमोली के पास ट्रेन की चपेट में आने से मादा तेंदुआ और उसके शावक की मौत के बाद हमने रेल प्रबंधन से चर्चा की है। उनसे कहा है कि बुधनी-बरखेड़ा ट्रैक की तरह सूखी सेवनिया ट्रैक पर कुछ ऐसी व्यवस्था करें, ताकि कोई वन्य प्राणी ट्रेन की चपेट में न आए। उनसे हमें आश्वासन मिला है। - आलोक पाठक, डीएफओ,भोपाल