लाखों लोगों को स्वस्थ करने वाले डॉक्टर को नहीं मिला इलाज

लाखों लोगों को स्वस्थ करने वाले डॉक्टर को नहीं मिला इलाज

श्योपुर । जिस डॉक्टर ने अपना पूरा जीवन लोगों का इलाज करने में गुजार दिया, अंतिम समय में उसी डॉक्टर को सरकारी सिस्टम इलाज मुहैया नहीं करा सका। सामान्य बीमारी को कोरोना बताकर जिम्मेदारों ने ऐसा मुंह फेरा की लाखों लोगों का इलाज नाम मात्र की फीस पर करने वाले इस डॉक्टर को इलाज के अभाव में अपनी जान गवानी पड़ी। गौरतलब है कि शहर के सुप्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. भगत नारायण शर्मा का मंगलवार को इलाज के अभाव में सवाई माधोपुर में निधन हो गया। लाखों लोगों को अपने इलाज से ठीक कर चुके डॉ. शर्मा के साथ आखिरी समय में मेडिकल टीम ने जो असहयोग किया है, वह मानवता को शर्मसार करने वाला है। जिला अस्पताल में उन्हें कोरोना संक्रमित बताकर इलाज के बजाय मेडिकल कालेज रैफर कर दिया। परिजन शीघ्र इलाज के लिए उन्हें ग्वालियर के बजाय सवाई माधोपुर ले गए। मगर उन्हें वहां भी इलाज नहीं नसीब नहीं हो सका। नतीजा यह हुआ कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के बीच चक्कर काटते परिजनों की गोद में ही इस समाजसेवी डॉक्टर ने इलाज की उम्मीद में दम तोड़ दिया। शर्मनाक बात यह है कि उनकी मृत्यु के बाद आई जांच रिपोर्ट में कोरोना के लक्षण ही नहीं मिले।

मुफ्त और सस्ते इलाज के लिए प्रसिद्ध थे डॉ. शर्मा

डॉ. भगतनारायण शर्मा सस्ते डॉक्टरी पेशे को समाजसेवा के रूप में लेते थे। उनके मरीजों में अधिकतर सहरिया जनजाति के गरीब व मजदूर वर्ग के लोग होते थे। वह अधिकांश मरीजों से इलाज के लिए मात्र 10 रुपए लेकर दवाइयां भी उपलब्ध कराते थे। जिनके पास 10 रुपए भी नहीं होते थे, उनको भी डॉ. शर्मा मुफ्त दवा और इलाज उपलब्ध करा देते थे।

कोरोना के डर से गुपचुप हुई अंत्येष्टि 

डॉ. शर्मा की मौत के बाद परिजन बेहद परेशान हो गए। रिश्तेदारों और समाज के लोगों ने डॉ. शर्मा को कोरोना पॉजिटिव बताकर अंत्येष्टि में जाने से इंकार कर दिया था। इसलिए परिजनों को सवाई माधोपुर से श्योपुर लाते समय रास्ते में ही श्मशान घाट पर अंत्येष्टि करनी पड़ी। तीसरे दिन वह अस्थियां चुनने श्मशान घाट तब पहुंचे, जब पहले कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट आ गई।