नीतीश कुमार को गले लगाने के लिए पूरा विपक्ष तैयार, शर्तें लागू

नीतीश कुमार को गले लगाने के लिए पूरा विपक्ष तैयार, शर्तें लागू

पटना/कोलकाता/ नई दिल्ली। बिहार में राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने सोमवार को कहा कि वह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जद(यू) को गले लगाने को तैयार हैं। बशर्ते वह भाजपा का साथ छोड़ दें। कांग्रेस और वामदलों ने भी सोमवार को संकेत दिया कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका समर्थन करेंगे। बता दें कि रविवार को नीतीश और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच बातचीत की चर्चा सामने आई थी। हालांकि, दोनों ही तरफ से बातचीत को लेकर कोई पुष्टि नहीं हुई है। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि जदयू और भाजपा के बीच चल रही खींचतान अंतिम पड़ाव के करीब पहुंच चुकी है। जदयू और लालू प्रसाद यादव नीत राजद के विधायकों की कल एक साथ बैठक करने की घोषणा से पहले से ही राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य का सियासी पारा और चढ़ेगा।

आज जदयू सांसद, विधायकों की अहम बैठक

नीतीश ने जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद पैदा हालात पर चर्चा करने मंगलवार को पार्टी के विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। बैठक से पहले जदयू ने सोमवार को कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो भी फैसला लिया जाएगा, वह पूरे संगठन को स्वीकार्य होगा। जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा- नीतीश कुमार जदयू के निर्विवाद नेता हैं, इसलिए पार्टी में किसी विभाजन का सवाल ही नहीं है। वहीं भाकपा-माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, यदि जदयू भाजपा से गठजोड़ तोड़ता है और नई सरकार बनती है तो हम मदद का हाथ बढ़ाएंगे। भाजपा का कहना है कि बिहार में जदयू और भाजपानीत सरकार चलती रहेगी।

कांग्रेस ने पार्टी नेताओं के साथ की बैठक

इस बीच कांग्रेस विधानमंडल में दल के नेता अजीत शर्मा के आवास पर बैठक हुई। कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा- हम हमेशा मानते हैं कि समान विचारधारा वाले दलों को साथ आना चाहिए। समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखने वाली मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू अगर भाजपा का साथ छोड़ती है तो हम स्वागत करेंगे। उन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि बिहार के मुख्यमंत्री ने पिछली रात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की थी, खान ने कहा, मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता।

राजद ने कहा- हम भाजपा से लड़ने को तैयार

इस बीच, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि मंगलवार को दोनों दलों द्वारा विधायकों की बैठक बुलाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि स्थिति असाधारण है। उन्होंने कहा- मुझे मौजूदा घटनाक्रम के बारे में व्यक्तिगत रूप से कुछ पता नहीं है। लेकिन, हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि दोनों दलों (जिनके पास बहुमत हासिल करने के लिए पर्याप्त संख्या है) ने उस समय ऐसी बैठकें बुलाई हैं, जब विधानसभा का सत्र संचालन में नहीं है। तिवारी ने कहा- अगर नीतीश राजग को छोड़ने का फैसला लेते हैं तो हमारे पास उन्हें गले लगाने के अलावा और क्या विकल्प है। राजद भाजपा से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले नीतीश 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आए थे। भाजपा के साथ 3 बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे।