बाइक के जमाने में आज भी महज 18 रु. साइकिल भत्ता पा रहे हैं पुलिसकर्मी

बाइक के जमाने में आज भी महज 18 रु. साइकिल भत्ता पा रहे हैं पुलिसकर्मी

ग्वालियर। हर छोटी बड़ी परेशानी में याद आने वाले पुलिसकर्मी इस महंगाई के जमाने में भी महज 18 रुपए साइकिल भत्ता के नाम पर पा रहे हैं प्रदेश में सरकार आती जाती रही लेकिन किसी भी दल ने फर्जी ले वाले की खातिर रात दिन जुटे रहने वाले छोटे कर्मचारियों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया अब जबकि राजस्थान सरकार ने अपने प्रदेश के पुलिसकर्मियों सहित होमगार्ड व जेल कर्मियों को भी एकमुश्त सात हजार रुपए भत्ता देने का ऐलान किया है, ऐसे में प्रदेश में भी पुलिसकर्मी चुनाव के समय सरकार से इस तरह की उम्मीद लगा रहे हैं। एक ओर जहां वरिष्ठ पुलिस अफसर अपने अधीनस्थों को स्मार्ट पुलिसिंग का पाठ पढ़ाते रहते हैं जिसे सार्थक करने के लिए तमाम सेमिनार व जागरूकता कार्यक्रम भी वृहद स्तर पर आयोजित किए जाते हैं, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस महंगाई और आधुनिकता के दौर में पुलिस कर्मियों को सिर्फ 18 रुपए साइकिल भत्ते के रूप में मिलते हैं, यहां बताना गौरतलब होगा कि आज के युग में पुलिस ही नहीं अधिकांश सभी सरकारी मुलाजिम साइकिल चलाना लगभग छोड़ चुके हैं, फिर भले ही वह आॅफिस के भीतर ही कार्य क्यों ना करते हो। ऐसे में अधिकांश समय फील्ड में रहने वाले पुलिसकर्मी साइकिल से किस तरह स्मार्ट पुलिसिंग कर सकते हैं, यदि वह किसी अपराधी का पीछा करेंगे तो क्या वह साइकिल से उसे पकड़ लेंगे अथवा वारंट तामील के लिए साइकिल से जाएंगे, लेकिन इस विसंगति की ओर किसी का भी ध्यान नहीं है, जिससे पुलिस कर्मियों को अपनी जेब का पेट्रोल डलवा कर ड्यूटी करना पड़ती है, सर्वाधिक परेशानी उन पुलिसकर्मियों को उठाना होती है जो दूरस्थ स्थानों में ड्यूटी करते हैं क्योंकि वह चाह कर भी साइकिल का उपयोग नहीं कर सकते हैं।

बाइक का पंचर भी नहीं जुड़ सकता

पुलिस कर्मियों का कहना है कि हमें बाइक से ही ड्यूटी करना पड़ती है, और यदि वह पंचर हो जाती है, तो उसे जोड़ने की भी 40-50 लगते हैं, फिर पेट्रोल की बात क्या करें ऐसे में सरकार हमें 18 साइकिल भत्ता देकर हमारे साथ मजाक कर रही है।

35 रुपए मिलता है वर्दी भत्ता

ऐसा नहीं है कि पुलिसकर्मियों को सिर्फ साइकिल भत्ता ही मिलता हो बल्कि उन्हें वर्दी चकाचक रखने के लिए 35 वर्दी भत्ता भी दिया जाता है जिससे वह साफ-सुथरी व प्रेस कि हुई वर्दी पहन कर ड्यूटी कर सकें।

इनका कहना है

यह शासन स्तर का मामला है, फिर भी हम स्टडी करेंगे, कि इसमें क्या किया जा सकता है, जिससे स्टॉफकर्मियों को राहत मिल सके। अविनाश शर्मा आईजी, ग्वालियर रेंज