किसी सर्कस से कम नहीं शहर का ट्रैफिक, कोई कारगर प्लान नहीं होना बड़ी परेशानी

किसी सर्कस से कम नहीं शहर का ट्रैफिक, कोई कारगर प्लान नहीं होना बड़ी परेशानी

जबलपुर ।  गढ़ा की तंग बजरिया से निकले तो गुलौआ फाटक पर जाम में फंस गए, किसी तरह रानीताल चौराहे पहुंचे यहां भूल-भुलैया सा सिग्नल सिस्टम मिल गया...दमोहनाका की ओर बढ़े तो रास्ते में आवारा मवेशियों का जमघट, मालवीय चौक बढ़े तो सड़कें जर्जर और बड़े वाहनों की धमाचौकड़ी, मालवीय चौक से गंजीपुरा जाएं ओमती, शास्त्री ब्रिज की ओर बढ़ें या सिविक सेंटर...यदि चार पहिया वाहन है तो पार्किंग भूल जाएं। जैसे सर्कस में तरह-तरह के रोमांच और करतब होते हैं, ठीक वैसे ही शहर का ट्रैफिक सिस्टम है। ऐसा नहीं है कि समय-समय पर सुधार कार्य नहीं कराया गया, लेकिन कारगर परिणाम कभी देखने को नहीं मिले। सड़कें तो चौड़ी हो गर्इं हैं, लेकिन अतिक्रमणों का जाल बिछा हुआ है, बडे वाहनों की एंट्री का समय तो तय है, लेकिन फिर भी नियम तोड़कर वाहनों की आवाजाही पर कोई सख्ती नहीं है।

बाजारों में पल-पल में जाम

शहर के अंधेरदेव, बड़ा फुहारा, दमोहनाका से सब्जी मंडी मार्ग, कमानिया से मिलौनीगंज, गढ़ा बाजार, त्रिपुरी चौक से गढ़ा तक, रानीताल से गढ़ा फाटक, ये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां दिनभर पल-पल में जाम देखने को मिल ही जाता है।

फ्लाईओवर निर्माण मार्ग पर नहीं डायवर्सन

प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाई ओवर ब्रिज शहर में बनने की तैयारी तो शुरू हो गई, लेकिन करीब तीन किलोमीटर मार्ग से जुड़ने वाली दर्जनो कॉलोनियों, बाजार क्षेत्र के डायवसर्जन की प्लानिंग की सुध किसी को नहीं है। उल्लेखनीय है कि करीब साढे सात सौ करोड़ से बनने वाले फ्लाई ओवर ब्रिज का काम मदन महल से दमोहनाका तक किया जाना है, इसके लिए मृदा परीक्षण का कार्य शुरू हो गया है, लेकिन निर्माण क्षेत्र में टीन के बॉक्स से घेरा कर लिया गया है, अब जबकि मानसून की आमद हो चुकी है, ऐसे में लोगों को इस मार्ग पर आए दिन परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।