दीक्षांत समारोह में सबसे अधिक पदक बेटियों के नाम गौरव की बात : पटेल

दीक्षांत समारोह में सबसे अधिक पदक बेटियों के नाम गौरव की बात : पटेल

इंदौर। हमारे लिए गौरव की बात है कि इस विश्वविद्यालय का नाम मां अहिल्याबाई होलकर के नाम पर है, जिन्होंने लोक कल्याण के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। मां अहिल्याबाई चाहती थीं कि पुरुषों के समान महिलाओं को भी पढ़ना चाहिए। आज मैंने देखा कि समारोह में सबसे ज्यादा पदक बेटियों को मिले हैं।

यह बात कुलाधिपति राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने शनिवार को डीएवीवी तक्षशिला परिसर में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन टीजी सीताराम ने युवाओं से कहा कि वह अपनी शिक्षा में अनुसंधान और अन्वेषण पर विशेष ध्यान दें। सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि आने वाले समय में भारत को पुन: विश्व गुरु बनाने में युवाओं की अहम भूमिका है। कुलपति डॉ. रेणु जैन ने विद्यार्थियों को शपथ दिलाई।

91 को स्वर्ण,10 को रजत, 142 को पीएचडी की उपाधि

समारोह में 91 को स्वर्ण पदक और दस को रजत पदक प्रदान किए गए। 142 शोधार्थियों को पीएचडी और एक को डीलिट की उपाधि दी गई। इस बार कुल 91 में से 66 गोल्ड लड़कियों को मिलें, जबकि सिल्वर में भी 10 में से 6 लड़कियों को दिए गए। तीन-तीन गोल्ड मेडल दीपिका मैना, खादिजा हामिद, साईप्रिया शास्त्री, श्रेया पंचेश्वर, विधि जैन को मिले। वहीं दो-दो गोल्ड साई जागृति शर्मा, कृतिका, सेतु व्यास व चारू पारिक और छात्रों में ऋषभ मोटवानी के नाम रहे। वहीं नितांत शर्मा को दो गोल्ड और दो रजत से सम्मानित किया गया, जबकि एक छात्र को दो सिल्वर और एक गोल्ड मेडल दिया ।

पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए

पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए। विद्यार्थी पारंपरिक मालवी पगड़ी, अंगवस्त्र और खादी जैकेट पहने नजर आए। छात्र कुर्ता-पायजामा और छात्राएं साड़ी में नजर आईं।

संस्कृत पढ़ने में कठिन पर रोचक

एमए संस्कृत में दो गोल्ड प्राप्त करने वाली छात्रा जागृति शर्मा का कहना है कि आज समारोह में कई विषय में पीएचडी की उपाधि मिली, लेकिन संस्कृत से पीएचडी में कोई नहीं था, लेकिन मैं पीएचडी संस्कृत से करूंगी। बीकॉम कर चुकी जागृति ने बताया कि यह माता-पिता की प्रेरणा से संभव हुआ। संस्कृत पढ़ने में कठिन, लेकिन रोचक है।

जज बनना चाहती हैं सेतु व्यास

एलएलबी में दो स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी सेतु व्यास का सपना है जज बनने का। सेतु का कहना है कि थ्यौरी और प्रैक्टिकल दोनों अलग है। इसके लिए जरूरी है कि किताब से ज्यादा पै्रक्टिकल पर ध्यान देना चाहिए, उससे फील्ड में क्या समस्या आती है उसे समझ सकें।