कैलाश विजयवर्गीय और उषा ठाकुर : ‘सर्वदा अपराजित’

कैलाश विजयवर्गीय और उषा ठाकुर : ‘सर्वदा अपराजित’

इंदौर। इंदौर विधानसभा 1 से भाजपा प्रत्याशी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भाजपा के अपराजित योद्धाओं में से एक हैं। भाजपा प्रदेश संगठन में लगातार काम करने के बाद 1990 में जब विजयवर्गीय को भाजपा ने इंदौर की विधानसभा 4 से उम्मीदवार बनाया तो विजयवर्गीय पहली बार शानदार जीत दर्ज करते हुए विधानसभा पहुंचे। कैलाश विजयवर्गीय ने 1990 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के तत्कालीन विधायक इकबाल खान को करीब 25000 वोटों से हराकर कांग्रेस का किला भेदा। उसके बाद जब पार्टी ने उनका विधानसभा क्षेत्र बदलते हुए उन्हें इंदौर विधानसभा 2 से अपना उम्मीदवार बनाया, तब भी विजयवर्गीय ने कांग्रेस के कृपाशंकर शुक्ला को करीब 21000 से ज्यादा वोटों से हराकर यह सीट भाजपा की झोली में डाली। उसके बाद कैलाश विजयवर्गीय यहां से लगातार जीतते हुए 2008 तक विधायक रहे, लेकिन पार्टी ने एक बार फिर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए उन्हें इंदौर ग्रामीण की एक सीट महू से उम्मीदवार बनाया, वहां भी जीते।

महू में दम दिखाया

विजयवर्गीय के लिए महू एकदम नया क्षेत्र था, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय ने कांग्रेस विधायक अंतरसिंह दरबार को हराते हुए इंदौर ग्रामीण की इस सीट पर भी जीत का परचम लहराया। कैलाश विजयवर्गीय को यूं ही राजनीति का धुरंधर नहीं कहा जाता है।1990 से 2013 तक अपने इस सफर में कैलाश विजयवर्गीय कई बार कैबिनेट मंत्री बने। उन्होंने लोक निर्माण, संसदीय कार्य, सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योग मंत्रालय जैसे कई अहम मंत्रालय संभाले, साथ ही सन 2000 में वे इंदौर शहर के महापौर भी चुने गए। 1983 में पहली बार पार्षद बने विजयवर्गीय ने इस लंबे सफर में कई आयामों को छुआ और खुद को भाजपा के अपराजित योद्धा के रूप में स्थापित किया।

चमत्कारिक जीत दर्ज

उषा ठाकुर ने अपना पहला चुनाव इंदौर की विधानसभा एक से लड़ा था। उषा ठाकुर को पहली बार भाजपा ने 2003 में कांग्रेस के कब्जे वाली सीट इंदौर 1 से मौका दिया था ,तब उषा ठाकुर ने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक रामलाल यादव को 27000 वोटों से ज्यादा के अंतर से हराकर कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी। उसके बाद 2008 में हुए विधानसभा चुनावों में उषा ठाकुर का टिकट कट गया, लेकिन 2013 में उषा ठाकुर को भाजपा ने इंदौर की ही विधानसभा 3 से मौका दिया। इंदौर 3 उषा ठाकुर के लिए एकदम नई सीट थी, लेकिन पांच साल चुनावी राजनीति से दूर रहने के बाद भी उषा ठाकुर ने कांग्रेस विधायक अश्विन जोशी को करीब 6000 वोटों से हराकर भाजपा को फिर एक बार जीत दिलाई, लेकिन 2018 में कैलाश विजयवर्गीय द्वारा चुनावी राजनीति से दूरी बनाए जाने के बाद उषा ठाकुर को महू सीट से उम्मीदवार बनाया गया, जहां उन्होंने चमत्कारिक जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार अंतर सिंह दरबार को हराकर पूरे प्रदेश में अपनी कुशल राजनीतिक क्षमता का लोहा मनवाया। विधायक रहते हुए उन्हें दो बार अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। राजनीति में कई ऐसे नेता होते हैं जो अपनी सीट तक नहीं बचा पाते, वहीं इंदौर के ये दो दिग्गज लगातार अलग-अलग क्षेत्रों से लड़ कर भी न सिर्फ जीते, बल्कि बाहरी नेताओं के बारे में कही जाने वाले कई भ्रांतियों को भी तोड़ा।

ठाकुरहमेशा पार्टी की उम्मीदों पर खरी उतरीं

कैलाश विजयवर्गीय के इस राजनीतिक सफर के दौरान इंदौर में ही एक और अपराजित योद्धा का उदय हुआ। वर्तमान में महू विधानसभा क्षेत्र से विधायक और कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर को भी पार्टी ने कई जिम्मेदारियां देते हुए अलग-अलग सीटों पर चुनाव लड़ाया और उषा ठाकुर हमेशा पार्टी की उम्मीदों पर खरी उतरीं।

उषा ठाकुर ने महू सीट की कमान संभाली

अब एक बार फिर प्रदेश में चुनाव का बिगुल फूंक चुका है। सभी राजनीतिक पार्टियां जी तोड़ मेहनत कर रही है। अब इसे संयोग कहा जाए या कुछ और लेकिन 2018 विधानसभा चुनावों में कैलाश विजयवर्गीय के जाने के बाद उषा ठाकुर ने महू सीट की कमान संभाली थी और इस बार के चुनावों में भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय को उषा ठाकुर की ही पुरानी विधानसभा से उम्मीदवार बनाया था और जब विजयवर्गीय विधायक थे, तब वे इंदौर क्षेत्र से एक मंत्री थे और उनके जाने के बाद उषा ठाकुर के सिर ही क्षेत्र के एक मात्र मंत्री का ताज सजा ।

ठाकुर का राजनीतिक भविष्य क्या होगा

महू की मौजूदा विधायक और मंत्री उषा ठाकुर का नाम अब तक भाजपा की किसी भी सूची में शामिल नहीं हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें फिर एक बार इंदौर 3 से मौका दिया जा सकता है। मंत्री उषा ठाकुर का राजनीतिक भविष्य क्या होगा यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन प्रदेश की राजनीति में जब भी इन दो दिग्गज नेताओं का जिक्र आएगा, उन्हें हमेशा एक अपराजित योद्धा के रूप मे  जाना जाएगा।