अब स्टील स्लैग से बनेंगे रनवे

अब स्टील स्लैग से बनेंगे रनवे

सूरत/नई दिल्ली। देश में अब स्टील स्लैग (स्टील का बचा हुआ चूरा) से रनवे बनाए जाएंगे। इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर एग्रीगेट बैलास्ट के रूप में भी इसका इस्तेमाल किए जाएगा। यह घोषणा नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके सारस्वत ने शुक्रवार को गुजरात के सूरत में की। वो सूरत के हजीरा में देश की पहली 100% स्टील स्लैग से बनी रोड की गुणवत्ता का निरीक्षण करने पहुंचे थे। साथ ही उन्होंने नेशनल हाईवे निर्माण में भी इस तकनीक का इस्तेमाल करने की बात कही है। नीति आयोग के निर्देश पर इस्पात मंत्रालय के सहयोग से सूरत के हजीरा में स्टील स्लैग रोड का निर्माण हुआ है। रिसर्च संस्थान सीएसआईआर-सीआरआरआई और एएमएनएस इंडिया ने इस सड़क का निर्माण किया है।

कई देशों से तकनीकी की मांग आ रही है

डॉ. सारस्वत ने कहा कि एयरपोर्ट पर रनवे और रेलवे में एग्रीगेट बैलास्ट के रूप में इस तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए वो जल्द ही नागरिक उड्डयन मंत्री और रेल मंत्री से बात करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इस तकनीक की कई देशों से मांग आ रही है, जो इसका इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं। देश की पहली स्टील स्लैग रोड को इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है।

ये होंगे फायदे

???? इस रोड की थिकनेस 30% तक कम की गई है। थिकनेस कम होने से कम लागत आई है।

???? स्टील स्लैग रोड सामान्य रोड के मुकाबले अधिक मजबूत होती है।

???? ऐसी रोड का निर्माण कर प्राकृतिक संसाधन को बचाया जा सकता है। सामान्य रोड के निर्माण में पत्थर का इस्तेमाल होता है, इसके लिए खनन करना होता है, लेकिन स्टील स्लैग के इस्तेमाल से पत्थरों की जरूरत नहीं पड़ेगी।

सरकार का मिशन सफल

स्लैग को प्लांट में प्रोसेस्ड पर उसे रोड में इस्तेमाल करने लायक सामग्री में तब्दील किया गया, इसके बाद रोड निर्माण में इस्तेमाल किया। इससे सरकार के वेस्ट टू वेल्थ व स्वच्छ भारत मिशन को मदद मिलेगी। स्टील स्लैग का इस्तेमाल न होने से कई जगह उसके पहाड़ खड़े हो गए हैं, जो प्रकृति के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। डॉ. सतीश पांडेय, प्रमुख साइंटिस्ट, सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट

20 मिलियन टन स्टील

स्लैग प्रोजेक्ट के लिए कंपनी ने स्टील स्लैग उपलब्ध कराया है। देश में स्टील इंडस्ट्री से सालाना 20 मिलियन टन स्टील स्लैग निकलता है। 2030 तक देश में 300 मिलियन टन स्टील उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस तरह सालाना 45 मिलियन टन स्टील स्लैग निकलेगा। सड़क निर्माण में इस्तेमाल कर इसका बेहतर उपयोग हो सकता है। - संतोष मुंद्रा, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एएमएनएस इंडिया