सॉक पपेट ने गौतम अडाणी के बारे में अतिश्योक्ति भरी और झूठी बातें लिखी

सॉक पपेट ने गौतम अडाणी के बारे में अतिश्योक्ति भरी और झूठी बातें लिखी

नई दिल्ली। अडाणी ग्रुप-हिंडनबर्ग रिसर्च मामले में एक नया ट्विस्ट आया है। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने विकिपीडिया के इंडिपेंडेंट न्यूजपेपर द साइनपोस्ट का एक आर्टिकल ट्वीट किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि अडाणी ग्रुप ने सॉक पपेट के जरिए विकिपीडिया में की गई एंट्रीज में छेड़छाड़ की। एक दशक से अधिक समय से सॉक पपेट ने गौतम अडाणी, उनके परिवार और कारोबार के बारे में अतिश्योक्ति भरी और झूठी बातें लिखी हैं। द साइनपोस्ट के मुताबिक, इन सॉक पपेट में कंपनी के कुछ कर्मचारी भी हैं। उन्होंने नॉन-न्यूट्रल सामग्री जोड़ने तथा सूचना पर विकिपीडिया की चेतावनियों को हटाने का काम किया। ज्ञात हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर खातों में हेराफेरी, शेयर की कीमतों को बढ़ाने तथा मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगाए थे। अडाणी ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया है और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

विकिपीडिया में कोई किसी भी पेज को कर सकता है एडिट

विकिपीडिया में कोई भी व्यक्ति किसी भी पेज को एडिट कर सकता है या आर्टिकल्स में सुधार कर सकता है। लेकिन यह न्यूट्रिलिटी के प्रिंसिपल पर काम करता है। विकिपीडिया के मुताबिक, अडाणी के बारे में कुछ जानकारी को कंपनी के कर्मचारियों ने एडिट किया। उन्होंने साथ ही अडाणी की पत्नी, बेटे, भतीजे और ग्रुप की कंपनियों के बारे में भी जानकारी को एडिट किया। अडाणी के बारे में आर्टिकल 2007 में शुरू हुआ था लेकिन 2012 में तीन एडिटर्स ने उनके बारे में जानकारी को एडिट किया। परिवार के सदस्यों और ग्रुप के बारे में भी जानकारी को एडिट किया गया। ग्रुप के प्रवक्ता ने इस बारे में भेजे ईमेल का जवाब नहीं दिया।

क्या है सॉक पपेट

सॉक पपेट इंटरनेट पर सक्रिय ऐसे फर्जी खातों को कहते हैं, जो ब्लॉग, फोरम, विकिपीडिया और फेसबुक तथा ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर किसी व्यक्ति या मुद्दे के पक्ष में जनमत तैयार करते हैं।

कैसे किया यह काम 

विकिपीडिया ने 20 फरवरी की भ्रामक सूचना रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है। क्या उन्होंने (अडाणी) और उनके कर्मचारियों ने विकिपीडिया लेखों से संबंधित नॉन-न्यूट्रल पीआर वर्जन्स के जरिए विकिपीडिया के पाठकों को धोखा देने की कोशिश की? इस सवाल के जवाब में रिपोर्ट में कहा गया कि उन्होंने निश्चित रूप से ऐसा किया। रिपोर्ट के मुताबिक, 40 से अधिक सॉक पपेट या अघोषित रूप से भुगतान पाने वाले एडिटर्स ने अडाणी परिवार और पारिवारिक व्यवसायों पर 9 लेख लिखे या संशोधित किए।

पीटीसी इंडिया लि. की डील से भी पीछा हटा ग्रुप

अडाणी ग्रुप ने अब आक्रामक तरीके से विस्तार की योजनाओं को भी ठंडे बस्ते में डालना शुरू कर दिया है। ग्रुप का जोर अब कैश बचाने पर है। पहले उसने डीबी पॉवर के साथ डील को आगे नहीं बढ़ाया और पीटीसी इंडिया लिमिटेड से भी हाथ पीछे खींच लिए हैं। अडाणी ग्रुप इस सरकारी इलेक्ट्रिसिटी ट्रेडर कंपनी के लिए बोली लगाने की तैयारी में था। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने अब इसके लिए बोली नहीं लगाने का फैसला किया है। पीटीसी इंडिया लि. में चार सरकारी कंपनियों एनटीपीसी, एनएचपीसी, पॉवर ग्रिड और पावर फाइनेंस की हिस्सेदारी है। ये कंपनी पीटीसी इंडिया में अपनी चार-चार फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। कंपनी के ताजा शेयर भाव के मुताबिक 16 फीसदी हिस्सेदारी की कीमत 5.2 करोड़ डॉलर बैठती है। इस साल इसके शेयरों में 11 फीसदी तेजी आई है और इसका कुल मार्केट कैप करीब 32.2 करोड़ डॉलर है।