देश की न्याय व्यवस्था ने 70 वर्षों में सुलझाए 12 करोड़ केस

देश की न्याय व्यवस्था ने 70 वर्षों में सुलझाए 12 करोड़ केस

इंदौर।आम तौर पर न्यायिक कर्मियों, अधिकारियों और न्यायधीशों की कमी से जूझती तथा भारी-भरकम प्रकरणों के भार से लदी हमारी न्याय व्यवस्था की तमाम मुद्दों को लेकर आलोचना की जाती है । इसके बावजूद हमारी न्यायिक व्यवस्था ने करोड़ों लोगों को न्यायदान दिया है। आजाादी के बाद (1952) से हमारी न्यायिक व्यवस्था ने 12 करोड़ मामलों को निपटारा ऐतिहासिक आदर्श उदाहारण प्रस्तुत किया है । इनमें 8.75 करोड़ आपराधिक एवं 3.25 करोड़ दीवानी मुकदमे शामिल हैं ।

सबसे अधिक प्रकरणों का निपटा

रा महाराष्ट्र में सुप्रीम कोर्ट के अलावा सर्वाधिक एक करोड़ 78 लाख से अधिक मामलों का निपटारा कर महाराष्ट्र का प्रथम स्थान पर है, वहीं सर्वाधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश एक करोड़ 72 लाख से अधिक प्रकरण निराकृत कर दूसरे स्थान पर है। आबादी के मान से बेहद छोटे केंद्र शासित राज्य दमन-दीव 18 हजार से ज्यादा मामले निपटाकर अंतिम पायदान पर हैं।

मप्र में 98 लाख मामलों का निराकरण किया गया मप्र की न्यायिक व्यवस्था ने भी लगभग 98 लाख मामलों को अब तक निराकृत किया है. वहीं इंदौर का न्यायिक प्रशासन लगभग साढ़े सात लाख प्रकरण को निराकृत कर चुका है। सात करोड़ से ज्यादा आबादी वाले मप्र की न्यायायिक व्यवस्था की यह बड़ी उपलब्धि है।

22,997 केसों को निपटाने में लगे 21 साल

देश की न्याय व्यवस्था के सामने 22,997 ऐसे मामले भी सामने आए, जिसका निपटारा करने में 21 साल से ज्यादा का समय लग गया।

इतिहास से रूबरू करना लक्ष्य 1952 से अब तक 70 वर्षों में 12 करोड़ प्रकरणों का निराकरण करना अपने आप में एक गौरवमयी इतिहास है। विभिन्न न्यायालयों की वेबसाइट से संग्रहित आंकड़ों के आधार पर यह तुलनात्मक, विश्लेषणात्मक रिसर्च की गई है। रिसर्च का उद्देश्य न्यायिक व्यवस्था के इतिहास से जन सामान्य को रूबरू कराना है। पंकज वाधवानी, रिसर्च करने वाले अधिवक्ता

  प्रकरण हुए निराकृत हुए
मूल निराकरण             70 प्रतिशत
निष्पादन आवेदन        14 प्रतिशत
विभिन्न आवेदन            13 प्रतिशत
अपील प्रकरण              4 प्रतिशत्

      केस                         समय
69 प्रतिशत-               1 वर्ष में
11 प्रतिशत-              1-2 वर्ष
6.5 प्रतिशत-            2 से 3 वर्ष
4 प्रतिशत-                3-4 वर्ष
2.6 प्रतिशत-           4 से 5 वर्ष
0.31 प्रतिशत- अर्थात् 22,997 प्रकरणों को निपटाने में 21 वर्ष से भी अधिक समय लगा।