यात्रा जीवनशैली में लाती है परिवर्तन: श्रीधर पराड़कर

यात्रा जीवनशैली में लाती है परिवर्तन: श्रीधर पराड़कर

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में रवींद्र भवन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर की कृति देस-परदेस का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व राज्यपाल डॉ. कप्तान सिंह सोलंकी मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति केजी सुरेश ने की। आधार वक्तव्य परिषद् की राष्ट्रीय मंत्री डॉ. साधना बलवटे ने दिया। कृति की समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर मिश्रा पंकज ने की। यात्रा संस्मरण देस- परदेस के संपादक श्रीधर पराड़कर ने कहा कि भारतीय संस्कृति में आत्मबोध के लिए तीर्थ यात्राएं की जाती थीं। तीर्थ यात्रा में मनुष्य अपने आपको जानता है। यात्रा जीवन शैली में सकारात्मक परिवर्तन करने के लिए आवश्यक है। साहित्यकार को संवेदनशील बनाने के लिए ही अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा यात्राओं का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष तपन भौमिक ने नर्मदा यात्रा के संस्मरण को भी साझा किया। श्री सुरेश ने अपने चीन यात्रा के संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि विकास के लिए अंग्रेजी का ज्ञान होना आवश्यक नहीं है। यात्रा वृतांत ऐसी विधा है जिसमें सुधार की आवश्यकता है। पूर्व राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि परिषद साहित्य संवर्धन यात्रा के माध्यम से भारत संवर्धन का कार्य कर रहा है। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन का रिशिका आहूजा व संचालन धर्मेंद्र सिंह सोलंकी ने किया।