ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन के वॉलंटियर में साइड इफेक्ट दिखने के बाद ट्रायल रोका गया

ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन के वॉलंटियर में साइड इफेक्ट दिखने के बाद ट्रायल रोका गया

न्यूयॉर्क। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन- ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन को बड़ा झटका लगा है। ब्रिटेन की फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने तीसरे और अंतिम चरण के क्लीनिकल ट्रायल को रोक दिया है। जानकारी के मुताबिक वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के दौरान एक वॉलंटियर के शरीर में गंभीर दुष्प्रभाव देखे जाने के बाद ट्रायल को रोकने का फैसला लिया गया है।

फार्मास्यूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर कोविड के लिए वैक्सीन बना रही है। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन बनाने की रेस में सबसे आगे चल रही है। एस्ट्राजेनेका ने एक बयान जारी कर कहा है कि यह एक रूटीन रुकावट है, क्योंकि परीक्षण में शामिल शख्स की बीमारी के बारे में अभी तक ज्यादा कुछ पता नहीं चला है। इसकी अच्छे समीक्षा की जाएगी और उसके बाद ही ट्रायल फिर से शुरू होगा।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि बड़े स्तर पर किए जाने वाले ट्रायल्स में कोई बीमारी उभरने की संभावना होती है, लेकिन इसकी समीक्षा स्वतंत्र रूप से होनी चाहिए। हालांकि, यह साफ नहीं है कि मरीज पर किस तरह का साइड इफेक्ट हुआ है। एस्ट्राजेनेका उन 9 कंपनियों में से एक है, जिनकी वैक्सीन का ट्रायल बड़े स्तर पर हो रहा है और तीसरे चरण में चल रहा है। कंपनी ने अमेरिका में  31 अगस्त को 30,000 वॉलंटियर्स को ट्रायल के लिए भर्ती किया है।
 सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका के ट्रायल रोकने पर कहा कि हम यूके के परीक्षणों पर ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनके द्वारा आगे का कार्य रोक दिया गया है। हम जल्द ही फिर से शुरू होने की उम्मीद करते हैं। जहां तक भारतीय परीक्षणों का सवाल है, यह जारी है और हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा है।
 
बता दें कि भारत में इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल किया जाना है। चंडीगढ़ पीजीआइ में होने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोविड-19 वैक्सीन के ट्रायल में अब देरी हो सकती है। ट्रायल के लिए 100 लोगों का चयन हो चुका है। वैक्सीन बनने के बाद इसकी प्रोडक्शन और मार्केटिंग सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देखेगा। यह देश के बड़े वैक्सीन प्रोड्यूसर में से एक है। दावा किया जा रहा है कि 2020 के आखिर तक वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी।