आबादी क्षेत्रों में चल रहे कारखानों, डेयरियों का पानी कर रहा पेयजल को दूषित

आबादी क्षेत्रों में चल रहे कारखानों, डेयरियों का पानी कर रहा पेयजल को दूषित

जबलपुर। शहर के रहवासी इलाकों में चल रहे 300 लघु उद्योग के कारखाने, 5 मैकेनिक जोन सहित 450 डेयरियों का गंदा पानी पेयजल को प्रदूषित कर रहा है। इसका खामियाजा लोगों को पेट की बीमारियों के बदले चुकाना पड़ रहा है। वर्तमान में जिस तरह से डेंगू,मलेरिया और कोरोना के मरीज तीसरी बार सामने आ रहे हैं तो पेयजल जैसी अनिवार्य जरूरत के लिए सतर्कता और ज्यादा बढ़ाने की आवश्यकता है,जिसकी तरफ जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है।

नगर निगम की जलापूर्ति लाइन ड्रेनेज से होकर गुजरती है। जर्जर या सुराख के कारण इनमें रसायन युक्त गंदा पानी इनमें प्रवेश कर लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। एक रिसर्च रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ हैकि लघु उद्योग, अस्पताल,डेयरियों से निकला अपशिष्ट पेयजल में जहरीले तत्व घोल रहा है। इतना ही नहीं सौ फीट की गहराई तक भूगर्भीय जल को भी दूषित कर रहा है।

बढ़ रही बीमारियां

पेयजल में मिल रहे घातक कंटेंट लोगों को बीमार कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार मर्करी से पेट का दर्द, लेड से खून की कमी सीने में दर्द, कैडियम से ब्रेन,लीवर व किडनी की समस्या और कॉपर से हापरटेंशन की समस्या हो रही है।

नोटिस से नहीं लिया सबक

2015 में एनजीटी ने लघु उद्योग और मैकेनिक जोन का दूषित पानी सीधे ड्रेनेज में छोड़े जाने को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में नोटिस जारी किया था,लेकिन दूषित पानी ड्रेनेज में मिलने से रोकने के लिए कोई पहल नहीं हुई।

इन इलाकों में समस्या ज्यादा

नागरथ चौक, मदनमहल लिंक रोड समेत शहर के कई इलाकों में बने मैकेनिक जोन का गंदा पानी सीधे ड्रेनेज में मिलता है। इसी तरह से अस्पतालों से रोजाना फिनाइल, साइनाइड, अमोनिया, सिल्वर, कॉपर, मर्करी ड्रेनेज में मिल रहे हैं। इसी तरह मदनमहल, शारदा चौक, बेदी नगर, शांतिनगर, तेवर, दमोहनाका, अधारताल करमेता में भी औद्योगिक इकाइयां संचालित हैं।

आबादी इलाकों में संचालित व्यवसायिक व औद्योगिक गतिविधियों के लिए ननि को नोटिस जारी कर रहे हैं जिससे पर्याप्त संख्या में एसटीपी प्लांट लगाए जाएं। यह बड़ी समस्या है। आलोक जैन, क्षेत्रीय प्रबंधक, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

क्षतिग्रस्त पाइप लाइनों का सुधार कार्य करवाया जा रहा है। जहां से भी शिकायत मिलती है सुधार कार्य के लिए टीमें पहुंचाई जाती हैं। कमलेश श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री, जल विभाग ननि

पेयजल का सेंपल लेकर जांच की गई तो पता चला कि रिहाइशी इलाकों में संचालित औद्योगिक व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से निकला पानी इसे दूषित कर रहा है। इसमें खतरनाक जहरीले तत्व शामिल हैं। विनोद दुबे, भू जल विद्