6 ग्राम पंचायतों की महिलाएं बेचेंगी गोबर से बनी लकड़ी के साथ गौ मूत्र

6 ग्राम पंचायतों की महिलाएं बेचेंगी गोबर से बनी लकड़ी के साथ गौ मूत्र

जबलपुर । महिलाएं स्वालंबी बने इसके लिए जिला पंचायत लगातार प्रयासरत है। जिला पंचायत के प्रयास से अब स्व-सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। गोबर से बनी लकड़ी और गो-मूत्र अब गांव की महिलाएं बेचकर वे स्वावलंबी बनेंगी। इस अभियान में 6 गांवों के स्व-सहायता समूह की महिलाओं को शामिल किया गया है। इन समूह की महिलाओं को 6 गौशालाओं की जिम्मेदारी दी गई है। एक माह के भीतर गौशालाओं में गोबर से उत्पाद बनाने का काम शुरु होंने की संभावना है। महिलाएं गौशालाओं की देखरेख के साथ गोबर से बनाएं जाने वाले उत्पाद तैयार करेंगी और उसकी बिक्री भी करेंगी। हालांकि गोबर उत्पाद की बिक्री में जिला प्रशासन उनका सहयोग करेगा। गौरतलब है कि जिले में 28 गौशालाएं स्वीकृत है,जिसमें 16 गौशालाओं का निर्माण हो चुका है, 9 का निर्माण कार्य प्रगति पर हैं। 3 के दरवाजे लगना बाकी है।

ये उत्पाद बनाएंगी महिलाएं

गोबर से बनी लकड़ी, कंडा, गौ-मूत्र और गोबर के कंडे बनाए जाएंगे। इसके लिए मशीन अभी नहीं लगाई गई है जिसके लिए जिला पंचायत मशीन लगवाने के लिए बजट की व्यवस्था करने में जुटा है। दरअसल एक मशीन लगाने में करीब 70 हजार रुपए का खर्चा बताया जा रहा है।

शांतिधाम और मुक्तिधाम में होगी बिक्री

महिलाएं सबसे पहले अपने-अपने क्षेत्रों में गोबर से बनी सामग्री की बिक्री करेंगी। उत्पाद ज्यादा बनने की स्थिति में जिला पंचायत को सामग्री दी जाएगी जिसके बाद जनपदों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसी तरह जिला प्रशासन को उत्पाद दिया जाएगा जो नगर निगम, नगर पंचायत के क्षेत्रों में सप्लाई होगा। स्थानीय किसानों को गोबर की खाद बेचेंगी। वहीं गोबर से बनी लकड़ी की बिक्री शांतिधाम और मुक्तिधाम में होगी।

गौ-मूत्र कृषि विभाग को देंगी

गौ-मूत्र की बिक्री को लेकर फिलहाल कोई तैयारी नहीं है, परंतु स्व-सहायता समूह की महिला गोमूत्र एकत्रित करके कृषि विभाग को सौंपेंगी। इसके बाद की शेष जिम्मेदारी कृषि विभाग की होगी।

प्रशासनिक अधिकारियों की रहेगी जिम्मेदारी

स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद की बिक्री की पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन अधिकारियों की रहेगी। मतलब जिला पंचायत, जनपद, नगर पंचायत के अधिकारी उत्पादों की बिक्री अपनी निगरानी में कराएंगे। इसका जो पैसा आएगा वह गोशाला समिति के खाते में आएगा जिसके बाद महिला स्व-सहायता समूह को जरूरत पड़ने पर वह यह राशि खर्च कर सकेंगी।