10वीं बोर्ड नहीं रहेगा, एमफिल होगा खत्म, एचआरडी का नाम अब शिक्षा मंत्रालय होगा

10वीं बोर्ड नहीं रहेगा, एमफिल होगा खत्म, एचआरडी का नाम अब शिक्षा मंत्रालय होगा

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति(एनईपी) को मंजूरी दे दी। इसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। साथ ही, शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नई नीति में बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते कहा गया है कि स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 की नई पाठयक्रम संरचना लागू की जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए यह बेहद महत्वपूर्ण है। कैबिनेट ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम पुन: शिक्षा मंत्रालय करने को भी मंजूरी दे दी। गौरतलब है कि वर्तमान शिक्षा नीति 1986 में तैयार की गई थी। नई शिक्षा नीति का विषय 2014 के चुनाव से पहले भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था ।

वीं तक के बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में निर्देश देंगे

* सभी स्कूलों में पांचवीं तक के बच्चों को मातृ भाषा या क्षेत्रीय/स्थानीय भाषा में निर्देश दिए जाएंगे।

* सभी स्तरों पर संस्कृत और सेकंडरी स्कूल लेवल पर विदेशी भाषाएं भी प्रस्तावित की जाएंगी।

* 10+2 के स्ट्रक्चर के बजाए स्कूली बच्चों के लिए करिकुलम का पैटर्न 5+3+3+4 की तर्ज पर लागू किया गया है। इसके तहत 3-6 साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा ताकि उसकी फाउंडेशन लिटरेसी को बढ़ाया जा सके।

* इसके बाद मिडिल स्कूल याना 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा। फिजिक्स के साथ फैशन की पढ़ाई करने की भी इजाजत होगी।

* नई शिक्षा नीति के तहत जो बच्चे शोध के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनके लिए भी 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। वहीं जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं उनके लिए 3 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा।

* रिसर्च में जाने के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एमफिल करने की बाध्यता नहीं होगी। वह एक साल के एमए के बाद चार का डिग्री प्रोग्राम में जा सकेंगे।